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भारतीय हिन्दू चिंतन, व जीवन दर्शन को दुनिया स्वीकार करने लगी है – विनीत नवाथे

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बड़वाह. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सह प्रांत कार्यवाह विनीत नवाथे ने कहा कि संघ शाखा व्यक्ति निर्माण व लोक संस्कार का एक अनूठा उदाहरण है. डॉ. हेडगेवार जी ने शाखा पद्धति और संघ के स्वयंसेवकों ने जो अलग-अलग संगठन व प्रकल्प प्रारंभ किये, उनके परिणाम हमें दिखाई देने लगे हैं. डॉ. हेडगेवार क्रांतिकारियों, व कांग्रेस भी जुड़े हुए थे. स्वाधीनता आंदोलन में भी सहभागिता थे. डॉ. साहब सभी प्रकार के राष्ट्रीय जन जागरण व भारतीय स्वतंत्रता के प्रयासों में सहभागी थे.

मैकाले शिक्षा पद्धति ने भ्रम फैलाया कि भारत कभी एक देश नहीं था, यह तो कई राज्यों का समूह है. जिसे अंग्रेजों ने एक सूत्र में बांधा, ऐसा समाज का मानस बना दिया गया था. ऐसी धारणा फैलाई गई कि सेवा हिन्दुओं के संस्कार में नहीं, सेवा सिर्फ ईसाई मिशनरी कर सकती हैं. हिन्दू समाज निःस्वार्थ भाव से सेवा कार्य करता है. स्वयंसेवकों द्वारा देशभर में डेढ़ लाख सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं.

स्वामी विवेकानंद की बात को डॉ. हेडगेवार जी ने आगे बढ़ाया और कहा कि गर्व से कहो हम हिन्दू हैं. भारत हिन्दू राष्ट्र है. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अटक से लेकर कटक तक हम सब हिन्दू हैं. भारतीय हिन्दू चिंतन, आयुर्वेद व भारतीय जीवन दर्शन को दुनिया स्वीकार करने लगी है.

हिन्दू समाज ने अनेक संघर्ष, अनेक चुनौतियों, अनेक समस्याओं का समाधान अपनी संगठित शक्ति से कर दिखाया है. श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के परिणाम स्वरूप आज भगवान राम का मंदिर बन रहा है.

डॉ. हेडगेवार जी ने कहा था कि संघ यानि शाखा, शाखा यानि हिन्दू समाज का संगठन, उसी बात को श्री गुरु जी ने आगे बढ़ा कर कहा कि संघ कुछ करेगा नहीं और स्वयंसेवक कुछ छोड़ेगा नहीं. संघ पुलिस फोर्स, आर्मी नहीं है. संघ समाज का संगठित रूप है. हमें स्वयं चुनौतियों का समाधान करना है. हमें अमेरिका जैसा नहीं बनना है. परम वैभव संपन्न यानि सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, कोई दुखी ना हो.

विनीत जी संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (बड़वाह) के समापन समारोह में संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि परम् पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 अवधूत नर्मदानन्द बाप जी ने सम्बोधित किया.

दीक्षांत समारोह में सह प्रान्त प्रचारक राजमोहन सिंह ने कहा कि आज विश्व को हमारी आवश्यकता है. शक्ति का केंद्र बदलकर भारत की ओर आ रहा है. हम जो सपना लेकर चले थे, कुछ वर्षों में वह पूर्ण होने की ओर है.

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