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यह नीति भारत को विश्व गुरू बनाने में सहायक होगी

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कला, संगीत, सहित्य, मातृभाषा, शारीरिक कौशल और प्रतिभा को उचित स्थान देने वाली नई शिक्षा नीति 34 वर्ष के बाद लागू की गई है. नई नीति में 21वीं सदी की शिक्षा के लक्ष्यों के अनुरूप नई प्रणाली बनाने के लिये शिक्षा के स्वरूप, विनिमयन और गवर्नेंस के सभी पहलुओं में संशोधन किया गया है.

यह नीति वर्ष 2025 तक 3 से 6 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिये मुफ्त, सुरक्षित, उच्च गुणवत्तापूर्ण, विकासात्मक स्तर के अनुरूप देखभाल और शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करती है. यह 2025 तक पांचवीं कक्षा और उससे ऊपर के सभी विद्यार्थियों की बुनियादी साक्षरता और सांख्य ज्ञान अर्जन भी सुनिश्चित करती है. इस का एक पहलू ड्रॉप आउट बच्चों को शिक्षा से पुनः जोड़ना और सभी तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना भी है. माध्यमिक शिक्षा को शामिल करने के लिये RTE एक्ट का विस्तार करने की बात कही गयी है.

सन् 2022 तक स्कूलों में शिक्षा क्रम और शिक्षण शास्त्र में आमूल-चूल बदलाव करने के तहत स्कूली शिक्षा के लिये नया शिक्षा क्रमिय और शिक्षण शास्त्रीय ढांचा उपलब्ध करवाया गया है. शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक बड़े बदलाव किए गए हैं. स्कूली शिक्षा में 10+2 की जगह 5+3+3+4 की व्यवस्था लागू की गई है. एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल बाद डिग्री दी जाएगी. उच्च शिक्षा के लिये 4 वर्ष की पढ़ाई होगी और नौकरी वाला 3 वर्ष बाद डिग्री ले कर नौकरी कर सकेगा.

मातृभाषा में शिक्षा

मातृभाषा मे शिक्षा से बच्चे बेहतर सीख पाएंगे. भारत की भाषाओं से शिक्षित होना छात्रों के शैक्षिक, सामाजिक और तकनीकी विकास के लिये बाधक नहीं होगा. संस्कृत के सशक्त रूप से राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता बनाए रखने के लिये मदद मिलेगी. मूलभूत विषयों और कौशलों का शिक्षा क्रम में एकीकरण शिक्षा नीति की वैज्ञानिक सोच दर्शाता है. शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल पर विशेष ध्यान देना सराहनीय है. व्यावसायिक एक्सपोजर और कौशल पर बल दिये जाने से युवा विद्यार्थियों के लिये आनंद की अनुभूति होगी. डिजिटल साक्षरता और कम्युनिकेशनल चिंतन बेसिक स्तर पर समन्वित किया जाना लाभदायक रहेगा. नीतिपरक और नैतिक चिंतन से विद्यार्थियों में भारतीय जीवन मूल्यों केअनुसार दृष्टिकोण विकसित हो पाएगा. भारतीय ज्ञान परम्पराओं की हमारे विद्यार्थियों में एक गहरी समझ, भारत से जुड़ाव, देश के प्रति गौरव और आत्मसम्मान का भाव विकसित हो पाएगा.

प्रभावी शिक्षक नियुक्ति और पदस्थापन; पारदर्शी और सशक्त नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना स्वागत योग्य है. बालिका शिक्षा के लिये राज्यों और सामुदायिक संगठनों के बीच साझेदारी अच्छी दिशा की ओर ले जाएगी. वनवासी बच्चों की शिक्षा के प्रति विशेष कदम उठाए जाने की चिन्ता करना सुनहरे भविष्य की ओर संकेत है. शहरी निर्धन बच्चों की शिक्षा की चिंता करना स्वागत योग्य है.

उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाना वैश्विक परिदृश्य पर छाने का अवसर देगा. NRF द्वारा वित्त पोषित किये गए अनुसंधानों को अवार्ड और राष्ट्रीय सेमिनार द्वारा पहचान दिलाए जाने से अनुसंधान करने वाले बंधु उत्साहित होंगे. मातृभाषा में उच्च गुणवत्ता पूर्ण पुस्तकें और अध्यन सामग्री उपलब्ध होगी. लिंग समावेशन निधि द्वारा सभी लड़कियों को समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात की जानी उत्तम है.

मूल्यांकन की पद्धति केवल परीक्षा केंद्रित न रखते हुए छात्र का मूल्यांकन बहुआयामी मानकों पर किये जाने संबंधी निर्देश ने नई नीति को समग्र और और सरल बना दिया है. उच्च शिक्षा में स्नातक स्तर के चार वर्षीय पाठ्यक्रम में एकाधिक प्रवेश-निर्गम बिंदु दिये जाना भी स्वागत योग्य कदम है. अनेक नियामक संस्थाओं का विलय कर एक सशक्त नियामक संस्थान का गठन किया जाना सवगत योग्य है. एक नए राष्ट्रीय अनुसंधान के माध्यम से शैक्षिक शोध के विभिन्न क्षेत्रों का एकीकरण तथा गुणवत्तापूर्ण विकास प्रसन्नता का विषय है. अतीत के अनुभव, वर्तमान की वैश्विक चुनौतियों’ भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही बनाई गई है. आइये, सभी इस आशा के साथ स्वागत करें कि यह नीति भारत को विश्व गुरू बनाने में सहायक होगी.

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