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बाबा साहेब को समझने के लिए उनका संपूर्ण अध्ययन आवश्यक

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मेरठ. विश्व संवाद केन्द्र मेरठ द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव आम्बेडकर जयन्ती के उपलक्ष्य में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी शुभारंभ डॉ. भीमराव आम्बेडकर के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.

गोष्ठी में ‘दलित विमर्श और वास्तविकता’ विषय पर विचार रखते हुए मुख्य वक्ता डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि बाबा साहेब को समझने के लिये उनका सही और सम्पूर्ण अध्ययन जरूरी है. बाबा साहेब का चिन्तन और संघर्ष हिन्दू समाज को संगठित और देश को समर्थ बनाने के लिये था. आज उनके विषय में जो हिन्दू विरोधी विमर्श चलाया जाता है, वह भ्रामक और असत्य है. झूठे विमर्शों का खण्डन करते हुए कहा कि डॉ. साहेब ने विभाजन के समय कहा था कि विभाजन के बाद धर्म के आधार पर एक-एक व्यक्ति की अदला-बदली होनी चाहिये.

आर्य थ्योरी पर डॉ. आम्बेडकर का कहना था कि आर्य बाहर से नहीं आये, वे भारत के ही मूल निवासी थे. वास्तव में वेदों में प्रारम्भ में तो केवल तीन ही वर्ण थे. शूद्र वर्ण तो बाद में जुड़ा है. बाबा साहेब को समझने के लिये ‘‘थॉटस ऑन पाकिस्तान’’ तथा ‘‘शूद्र कौन थे’’ पुस्तकें अवश्य पढ़नी चाहिये. बाबा साहेब सदैव भेदभाव से पीड़ित अपने समाज के प्रति बहुत चिंतित और संघर्षशील रहे. इसीलिये मृत्यु से मात्र 2 माह पूर्व उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाकर समाज को बौद्ध धर्म अपनाने का मार्ग दिखाया. सही अर्थों में बाबा साहेब एक राष्ट्रभक्त, लेखक, पत्रकार, विचारक, समाज सुधारक और मात्र भारत रत्न ही नहीं, विश्व रत्न थे. उन्होंने शोषित, वंचित समाज को अपने अधिकारों के लिये संगठित होकर संघर्ष करने का मार्ग दिखाया था.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी कु. उपासना सिंह एवं मुख्य अतिथि राजकुमार सोनकर ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार विद्यार्थी एवं अतिथि परिचय विनोद जाहिदपुर ने करवाया.

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