बीटीपी लम्बे समय से जनजाति संस्कृति व परम्पराओं के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रही
उदयपुर (विसंकें). राजस्थान के जनजाति समाज में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के विरुद्ध रोष बढ़ता जा रहा है. बीटीपी लम्बे समय से जनजाति संस्कृति व परम्पराओं के विरुद्ध दुष्प्रचार कर वैमनस्य पैदा करने का काम कर रही है. बीटीपी की गतिविधियों से रुष्ट जनजाति संत समाज ने वीरवार को उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा. संत समाज कोरोना के कारण निर्धारित निर्देशों का पालना करते हुए रैली के रूप में उदयपुर जिला कलक्ट्रेट पहुंचा और बीटीपी द्वारा चलाई जा रही अराजक गतिविधियों के प्रति अपना रोष प्रकट किया.
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि 12 अगस्त, 2020 को नन्दिन माता मन्दिर बड़ोदिया जिला बांसवाड़ा में बीटीपी के सौ से अधिक समर्थकों द्वारा जय जोहार, लाल सलाम के नारे लगाते हुए मन्दिर की धर्म पताका हटाकर पुजारी एवं भक्तों को डराया-धमकाया गया.
26 अगस्त, 2020 को हनुमान मन्दिर करजी (बागीदौरा) बांसवाड़ा में बीटीपी समर्थकों द्वारा मन्दिर की धर्म पताका हटाकर अराजकता फैलाने वाले नारे लगाए गए.
27 अगस्त, 2020 को कसारवाड़ी सज्जनगढ़ बांसवाड़ा में बीटीपी समर्थकों द्वारा गणपति की मूर्ति को तोड़ कर उत्पात मचाया गया, इस घटना में दर्ज मामले में तीन बीटीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई है.
30 अगस्त, 2020 को सोनार माता मन्दिर, सलूम्बर उदयपुर में भी इसी प्रकार के धर्म विरोधी तत्वों, बीटीपी के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों द्वारा एकत्र होकर धर्म ध्वजा को हटाकर उसके स्थान पर बीटीपी का झंडा लगाया गया तथा पुजारी एवं भक्तों के साथ मारपीट कर हिंसा फैलाई गई.
संत समाज ने कहा कि उदयपुर संभाग के जनजाति क्षेत्र में बीटीपी के नाम से एकत्र हुए धर्म विरोधी असामाजिक तत्वों द्वारा हिन्दू धर्म एवं जनजाति संस्कृति पर निरन्तर आक्रमण किए जा रहे हैं, जिसके माध्यम से धार्मिक विद्वेष एवं जातिगत वैमनस्य फैलाकर हिंसक घटनाएं करने की योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. जनसंचार के विभिन्न सामाजिक माध्यमों द्वारा सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके कारण वातावरण अशांत हो रहा है.
उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल द्वारा धर्म एवं जाति को आधार बनाकर की गई ऐसी गतिविधियां न केवल समाज विरोधी हैं, अपितु संविधान विरोधी भी हैं. बीटीपी ऐसी गतिविधियों द्वारा जनजाति समाज पर दबाव ही नहीं बना रहा अपितु डरा-धमका कर जान से मारने की धमकियां भी दे रहा है. ज्ञापन देने वालों में जनजाति समाज के संत, मेट, कोतवाल व धर्म प्रेमी जन शामिल थे. सभी ने सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है.