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दधिचि स्वरूप ओम प्रकाश जी की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा

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पटना. वरिष्ठ प्रचारक एवं विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मंत्री रहे ओम प्रकाश गर्ग जी की स्मृति में पटना के विजय निकेतन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी एवं सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी का शोक संदेश दक्षिण बिहार प्रांत प्रचारक राणा प्रताप जी ने पढ़कर सुनाया.

बाल्य स्वयंसेवक एवं पटना सिटी के उद्यमी विमलेश सिंह ने श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि ओम प्रकाश जी से उनका संपर्क लगभग पांच दशकों का था. ओम प्रकाश जी पटना में 70 के दशक में आये थे और तब से पटना के होकर ही रह गये. शाखा से उनका जीवंत संपर्क था. बिहार के सैकड़ों परिवारों के लोग उन्हें अपना अभिभावक मानते थे. मांगलिक कार्यों में ओम प्रकाश जी की शारीरिक उपस्थिति अनिवार्य रहती थी. सामाजिक कार्यकर्ता कैसा होना चाहिए, यह ओम प्रकाश जी के व्यक्तित्व को देखकर समझा जा सकता है. राजनैतिक क्षेत्र के सभी दलों के प्रमुख लोगों से उनका व्यक्तिगत संपर्क था.

पूर्व राज्यसभा सांसद एवं एसआईएस के प्रमुख रवीन्द्र किशोर प्रसाद सिन्हा ने उन्हें आदर्श स्वयंसेवक बताया. संघ में उन्हें सक्रिय करने का कार्य ओम प्रकाश जी ने ही किया था. गर्दनीबाग, चितकोहरा, मीठापुर- इन स्थानों में जितनी शाखा लगती थी, उसे धीरे-धीरे देखने का दायित्व उनके कंधों पर आया था. ओम प्रकाश जी से ही उन्होंने अहर्निश कार्य करना सीखा था. विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय प्रबंधकारिणी सदस्य दिनेश जी ने उन्हें विराट व्यक्तित्व का धनी बताया. ऐसा देशभक्त जो नैपथ्य में रहकर सभी ज्वलंत समस्याओं के लिए योजना बनाता था, उन्हें कार्यान्वित करवाता था और सफलता का श्रेय सदैव दूसरों को देता था.

भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्र संगठन मंत्री नागेन्द्र जी ने बताया कि उनका ओम प्रकाश जी से संपर्क नेपाल में हुआ था. 1994 में ओम प्रकाश जी नेपाल के अधिराज्य प्रचारक थे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की एक बैठक उन दिनों में नेपाल में आयोजित थी. ओम प्रकाश जी ने नेपाल की विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया था. भारत-नेपाल संबंध के ऐतिहासिक प्रासंगिकता को भी स्पष्ट किया था. उस समय से ओम प्रकाश जी से इनका सतत् संपर्क था. ओम प्रकाश जी की विशेषता थी कि जो एक बार उनसे मिल लेता था, वह उनका हो जाता था.

विश्व आयुर्वेद परिषद् के वैद्य शिवादित्य ठाकुर ने उन्हें अद्भुत स्मरण शक्ति का धनी व्यक्ति बताया. ओम प्रकाश जी की स्मरण शक्ति गजब की थी. एक बार में ही कार्यकर्ताओं का नाम याद कर लेते थे. कई कार्यकर्ताओं के तो मोबाइल नंबर और पूरे परिवार की जानकारी उन्हें जुबानी याद थी. इस वर्ष फुलवारी में आरोग्य सदन के भूमि पूजन कार्यक्रम में ओम प्रकाश जी उपस्थित थे. उस समय 95 वर्ष के हो चुके थे. फिर भी सभी कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत नाम से ही पुकार रहे थे. कई बार अपने प्रसंग में कहते थे कि अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम का मंदिर कार्य निर्बाध गति से प्रारंभ हो जाए तो वे यहां से विदा ले लेंगे. ईश्वर कृपा से ऐसा ही हुआ. लगता है ओम प्रकाश जी ने इच्छा मृत्यु का वरण किया.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर-पूर्व क्षेत्र प्रचारक रामनवमी प्रसाद ने कहा कि शारीरिक रूप में ओम प्रकाश जी भले ही हम लोगों के बीच नहीं रहे. लेकिन, उनकी उपस्थिति हम लोगों के बीच में सदैव रहेगी. उनके बताये मार्ग पर चलकर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है. उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि जिस लक्ष्य के लिए ओम प्रकाश जी कार्य कर रहे थे, उस लक्ष्य की पूर्ति के लिए हम सबको पूरे प्राण-पण से लग जाना चाहिए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

श्रद्धांजलि सभा में क्षेत्र कार्यवाह मोहन सिंह, क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर, दक्षिण बिहार प्रांत संघचालक राजकुमार सिन्हा, रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कामेश्वर चौपाल, केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे, सहित अन्य ने अपने संस्मरण साझा किये. इस अवसर पर सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद जी का शोक संदेश भी पढ़कर सुनाया गया.

सरसंघचालक जी व सरकार्यवाह जी की ओर से श्रद्धांजलि

श्रीमान ओमप्रकाश जी गर्ग के देहावसान से हमने एक वरिष्ठ, प्रेरणादाई व्यक्तित्व को खो दिया है. संघ कार्य में अटूट निष्ठा व पूर्ण समर्पण, सतत कठोर परिश्रम तथा विजिगिषु पुरुषार्थी व्यक्तित्व के नाते वे हमारे सदा स्मरण में रहेंगे. अंतिम दिनों में शरीर की विफलता के बावजूद उनके स्नेह, उत्साह, सकारात्मकता में कुछ भी कमी नहीं आयी तथा स्वयं की चिंता को पूर्ण भूलकर वे देश धर्म तथा कार्य की ही चिंता में निमग्न रहे, यह हम सब ने अनुभव किया. उनके संपूर्ण समर्पण भाव के फलस्वरूप ही मरणोपरांत उनके शरीर के अंगों को उन्होंने समाज के हित में अर्पण कर दिया.

बाधा बनकर खड़ी विपत्तियों का संपूर्ण निराकरण कर सकने वाला अपना कार्य द्रुतगति से लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ाना, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी. उनकी पुण्य स्मृति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से तथा व्यक्तिगत हमारी ओर से हम हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं.

मोहन भागवत, सरसंघचालक

दत्तात्रेय होसबाले, सरकार्यवाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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