त्रिपुरा
जन-जन के राम, कण-कण में राम – मकर संक्रांति से माघ पूर्णिमा तक देशभर में आयोजित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण एवं संपर्क महाभियान में यह स्पष्ट देखने को मिला.
त्रिपुरा का सबसे दुर्गम अंचल भारत-बांग्लादेश बॉर्डर के पास डूम्बूरनगर खंड में श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान के निमित्त आयोजित शोभा यात्रा में जनजातियों का उत्साह दर्शनीय था. समाज के लोगों ने उत्साह के साथ श्रीराम मंदिर के लिए निधि समर्पण किया.
मनू खंड के गांव में निधि समर्पण अभियान के तहत कार्यकर्ता संपर्क कर रहे थे. एक घर में कार्यकर्ताओं ने श्रीराम मंदिर निर्माण के बारे में जानकारी दी तो मौसी (वृद्ध महिला) ने उत्साह के साथ समर्पण निधि सौंपी. कार्यकर्ता समर्पण राशि का कूपन देकर आगे चले गए. पर, शायद मौसी के मन में हलचल शुरू हो गई. जो राशि उन्होंने समर्पित की थी, उसे लेकर उनका मन संतुष्ट नहीं था. वह अगले दिन निधि समर्पण समिति के कार्यकर्ता के घर पहुंची तथा दोबारा समर्पण राशि देकर कार्यकर्ता से कूपन प्राप्त किया.
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में जुटे कार्यकर्ता गांव के परिवारों में जा रहे थे. एक परिवार को जब जानकारी मिली कि श्रीराम मंदिर निधि समर्पण के लिए कार्यकर्ता उनके घर पर आए हैं तो परिवार की महिलाएं घर से बाहर आ गईं और उलू ध्वनि करके पारंपरिक अंदाज में निधि समर्पण अभियान के कार्यकर्ताओं का स्वागत किया.
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जगबंधु पाड़ा, डूम्बूरनगर खंड
महाकाल मंदिर के पुजारी ने उत्साह के साथ निधि समर्पण करते हुए कहा कि जीवन में न जाने कितनी बार भक्तजनों ने यहां मंदिर में दान-दक्षिणा प्रदान की है. लेकिन आज पहली बार मुझे भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए सहयोग करने का अवसर मिला है. मैं बहुत खुश हूं, भगवान ने मुझ पर असीम कृपा की है.
रइसावाड़ी खंड, त्रिपुरा
भारत- बांग्लादेश बॉर्डर के पास रइसावाड़ी खंड में भी निधि समर्पण अभान को लेकर उत्साह रहा. जनजाति समाज ने उत्साह के साथ प्रभु श्रीराम के भव्य धाम के लिए सहयोग किया. त्रिपुरी जनजाति के समाजपति मालेंद्र त्रिपुरा (रुआजा/समाज प्रमुख) ने भी निधि समर्पण अभियान में पूर्ण सहयोग किया. उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के लिए काम करके मेरा जीवन सार्थक हो गया. मेरा सौभाग्य है कि यह अवसर मिला.
बच्चा-बच्चा राम है
आमबासा नगर, त्रिपुरा
निधि समर्पण अभियान के कार्यकर्ता एक परिवार में निधि समर्पण की चर्चा कर रहे थे. इसी दौरान 10 वर्ष की गुनगुन भट्टाचार्जी अपने पिता को श्रीराम मंदिर के लिए निधि समर्पण करते हुए देखा तो वह भी दौड़कर अंदर गई और पॉकेट मनी से बचाकर मिट्टी की गुल्लक में रखी राशि में से ₹2000 लेकर आई तथा श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए समर्पण किया.
उधर, खोवाई जिले की एक शाखा के बाल स्वयंसेवक सुबह शाखा विकिर होने के बाद टोली बनाकर अपनी शाखा के आसपास घर-घर जाकर श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह किया. प्रांत में अनेक स्थानों पर बाल स्वयंसेवकों ने भी निधि समर्पण अभियान में सहयोग किया.