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अमृता प्रकृति संवर्धन अभियान के अंतर्गत 1300 गांवों, ढाणियों, नगरों में महिलाओं ने लगाए 51 हजार पौधे

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प्रकृति वंदन कार्यक्रम में 11 हजार महिलाओं ने लिया वृक्षों की रक्षा का संकल्प

झुंझुनूं, राजस्थान. अमृता प्रकृति संवर्धन अभियान के अन्तर्गत शनिवार को झुंझुनूं नगर स्थित केशव आदर्श विद्या मंदिर में प्रकृति वंदन कार्यक्रम का आयोजन हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से चल रहे अभियान के अंतर्गत लगभग 11 हजार महिलाओं ने अमृता देवी बिश्नोई की भांति वृक्षों की रक्षा का संकल्प लिया. कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.

अभियान की संक्षिप्त जानकारी देते हुए अशोक सिंह शेखावत ने बताया कि अभी तक अमृता प्रकृति संवर्धन अभियान के अंतर्गत 1300 गांवों, ढाणियों तथा नगरों में महिलाओं द्वारा लगभग 51 हजार छायादार, फलदार एवं औषधीय पौधों का वितरण एवं रोपण का कार्य पूर्ण हो चुका है. इन पौधों की देखभाल का जिम्मा भी महिलाओं ने लिया है.

डॉ. अशोक शर्मा ने कथा के माध्यम से वृक्षों का आध्यात्मिक, पौराणिक एवं सामाजिक महत्व बताया. उनके गीत “वृक्ष गुण गाने वाला पार होगा रे, वृक्ष की शरण में उद्धार होगा रे” ने उपस्थित लोगों में उत्साह का संचार किया.

राष्ट्र सेविका समिति जयपुर प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख वीणा भोजक ने राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका पर विचार रखे. उन्होंने कहा कि हम महिलाओं का दायित्व है कि इस देश को संस्कारवान, कर्तव्यनिष्ठ एवं देशभक्त नागरिक तैयार करने में अपनी अपनी भूमिका जीजाबाई, जयवंता बाई की तरह निभाएं.

मुकेश कुमार ने अमृता देवी बिश्नोई की बलिदान कथा सुनाकर, महिलाओं को अमृता देवी की भांति वृक्ष रक्षा का संकल्प करवाया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात देश में एक नई चेतना आयी है. अब हमें अपने घरों को राममय बनाने एवं देश में रामराज्य लाने में अपनी अपनी भूमिका निभानी होगी. पूरा हिन्दू समाज एक है. अगर कहीं कोई ऊंच-नीच, भेदभाव है, तो हमें उससे ऊपर उठकर सामाजिक समरसता की दिशा में काम करना है.

कार्यक्रम के आयोजक राजेन्द्र भाम्बू ने सभी का आभार व्यक्त किया. वृक्ष महाआरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को 11 हजार फलदार, छायादार तथा औषधीय पौधे प्रसाद स्वरूप भेंट किए गए और सभी को सौभाग्य की प्रतीक चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया गया. मंच संचालन आत्माराम जांगिड़ ने किया.

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