वाराणसी. काशी तमिल संगम-2 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्र तमिलनाडु की स्टोन कार्विंग की कला सीख रहे हैं. गंगा किनारे उत्तर और दक्षिण की संस्कृति और कला का संगम हो रहा है. नमो घाट पर दक्षिण भारतीय शिल्पकार बनारस के युवाओं को स्टोन कार्विंग की कला सिखा रहे हैं. इस पाठशाला में सुबह से शाम तक बीएचयू के फाइन आर्ट्स से जुड़े छात्र भाग ले रहे हैं और इस कला को जानने व समझने के साथ हुनर भी सीख रहे हैं.
काशी के नमो घाट पर विभिन्न प्रकार के स्टॉल लगाए गए हैं. जिसमें कुछ दक्षिण भारतीय मेहमानों की दुकान है तो कुछ में वाराणसी. दोनों के संगम में वाराणसी के युवाओं को शिल्पकला के बारे में सीखने और जानने का मौका मिल रहा है. तमिलनाडु की स्टोन कार्विंग की खूबसूरती लोगों को खूब भा रही है. संगमरमर के पत्थरों के अलावा ग्रीन स्टोन पर कारीगर कलाकृतियां उकेरते हैं. विशेष यह कि इन कृतियों को बनाने में किसी मशीन का प्रयोग नहीं होता है. बल्कि हाथों की कारीगरी से इसे आकार दिया जाता है.
बीएचयू की छात्र निधि ने बताया कि वो यहां स्टोन कार्विंग का हुनर सीख रही है. इसमें पत्थरों की कटाई के साथ कैसे उन्हें आकार देना है. इसको बनाने के लिए समय व एकाग्रता की आवश्यकता रहती है. बड़ी ही बारीकी से कटिंग करना होता है और धीरे धीरे सुंदर आकृति दी जाती है. काशी तमिल संगम का आयोजन काशी में हुआ है, इस अच्छी पहल से दो राज्यों की संस्कृति और कला का आदान-प्रदान हो रहा है.