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उत्तर प्रदेश – जबरन धर्मांतरण पर सरकार सख्त, अब तक 291 मामले दर्ज, 507 से ज्यादा गिरफ्तार

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार जबरन धर्मांतरण को लेकर सख्त है. प्रदेश में अब तक 291 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में 507 से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई है. यह मतांतरण को लेकर सरकार के सख्त रवैये को दर्शाता है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से 150 मामलों में पीड़िताओं ने न्यायालय के समक्ष जबरदस्ती धर्म बदलवाने की बात को स्वीकार किया है. नाबालिग लड़कियों के धर्मांतरण के मामले में अब तक 59 मामले दर्ज किए गए हैं. बरेली जिला में धर्मांतरण के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं. प्रदेश में दिव्यांग बच्चों का धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का भी खुलासा हो चुका है.

प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 को गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू किया गया था. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल का प्रावधान है. कानून में जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार रुपये तक है.

अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करना होता है. ऐसा नहीं करने पर जबरन धर्मांतरण माना जाता है. जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद का प्रावधान है. एससी-एसटी समुदाय की नाबालिग लड़कियों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है.

कानून में जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार रुपये का प्रावधान है. कानून के अनसार, अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो सरकार ने ऐसी शादियों को अवैध करार दिए जाने की भी इस नए कानून में व्यवस्था की है. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार की सख्ती की वजह से ही उत्तर प्रदेश में ऐसे अपराध करने से पहले अपराधियों को सौ बार सोचना पड़ रहा है.

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