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उत्तरप्रदेश – विस में विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 पारित

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लखनऊ. उत्तरप्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021  बुधवार को विधानसभा में पारित कर दिया गया. विधानसभा में ध्वनिमत से यह विधेयक पारित किया गया. विधानसभा से पास होने के बाद विधेयक राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार पहले अध्यादेश लेकर आई थी. अध्यादेश के नियमों के तहत सरकार को 6 महीने के अंदर सदन में बिल पेश कर प्रस्ताव पास कराना होता है.

उत्तरप्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 के अनुसार उत्तरप्रदेश में गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने या पहचान छिपाकर शादी करने के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है.

विधेयक के अनुसार शादी से पूर्व धर्म परिवर्तन के लिए 2 महीने पहले नोटिस देना होगा. अगर कोई अपना नाम और धर्म छिपाकर शादी करता है, तो इस स्थिति में उसे 10 साल की जेल की सजा हो सकती है. महिला, SC/ST या वल्नरेबल ग्रुप का अवैध रूप से धर्म परिवर्तित कराने पर 2 साल से 10 साल तक की जेल की हो सकती है.

धर्म छिपाकर शादी करने पर 10 साल तक की सजा है. 15000 से 50000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन को अवैध घोषित किया गया है. धर्मगुरु अगर धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. जो धर्म परिवर्तन करेगा उसे भी जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. अगर कोई सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना हो सकता है. अगर कोई संगठन ऐसा कराता है तो उसकी मान्यता रद्द हो सकती है.

‘सजा का प्रावधान’

विधेयक पटल रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि कई मामलों में ऐसा पाया गया कि धर्म परिवर्तित कर धोखाधड़ी कर शादी की जा रही है. जिस पर सजा का प्रवाधान किया गया है. झूठ बोलकर, धोखा देकर धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा. स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के मामले में दो महीने पहले मजिस्ट्रेट को बताना होगा.

विस उपचुनाव के दौरान की थी घोषणा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल विधानसभा उपचुनाव के दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का ऐलान किया था. इसके बाद 24 नवंबर को योगी कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को पारित किया गया था. 28 नवंबर को राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही प्रदेश में अध्यादेश को कानून के रूप में लागू कर दिया गया. नियमानुसार किसी भी अध्यादेश को छह महीने के भीतर विधान मंडल से पारित कराना होता है. लिहाजा बुधवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 पारित हो गया है. इसके बाद विधान परिषद में सरकार इसे पारित कराएगी. विधान परिषद में पारित होने के बाद राज्यपाल का हस्ताक्षर होगा. उनके हस्ताक्षर के साथ ही कानून के रूप में लागू हो जाएगा.

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