काशी. रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी दक्षिण भाग, मानस नगर की शिवाला शाखा में भारतरत्न नाना जी देशमुख की पुण्यतिथि पर ग्रामोदय से राष्ट्रोदय विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भारत अध्ययन केंद्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. राकेश उपाध्याय जी ने नानाजी देशमुख के योगदान पर कहा कि नाना जी का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था. 13 वर्ष की अवस्था में उनकी भेंट संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी से हुई. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण वे सब्जी बेचते थे और शाखा नियमित जाते थे. यहीं से राष्ट्र प्रेम का अंकुर उनके मन में फूटा. डॉ. हेडगेवार जी के निधन के बाद वे संघ प्रचारक बने. उन्होंने सर्वप्रथम गोरखपुर से संघ कार्य शुरू किया. उन्होंने धीरे-धीरे आस-पास के जिलों में 250 शाखाएं खड़ी की. विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति के परिवेश में ज्ञान प्राप्त हो, इस हेतु से विद्या भारती की स्थापना की. जो वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी शिक्षा तंत्र है. 1948 में पांचजन्य और ऑर्गनाइज़र पत्रिका के संपादन का कार्य किया. वे जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. 1967 में वह जनसंघ से लोकसभा में पहुंचे.
नाना जी ने राजनीतिक जीवन से भी सेवानिवृति की बात कही और उस पर आचरण करते हुए 60 वर्ष की आयु में राजनीतिक जीवन से सन्यास ले लिया. नाना जी द्वारा स्थापित चित्रकूट ग्रामीण विश्वविद्यालय उनकी कर्मवीरता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.
विश्व संवाद केंद्र काशी के प्रमुख राघवेंद्र जी ने बताया कि ग्रामोदय से राष्ट्रोदय के उद्देश्य के अंतर्गत नानाजी देशमुख ने चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की थी. शिक्षा, आजीविका, चिकित्सा एवं कृषि के विकास क्षेत्र में दीनदयाल शोध संस्थान आज भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उनकी स्मृति में आज भी गांवों के सहयोग से दीनदयाल शोध संस्थान वार्षिक आयोजन के अंतर्गत उनके उद्देश्यों को पूरा करने में जुटा हुआ है.