लखनऊ. राष्ट्रधर्म पत्रिका के पूर्व सम्पादक एवं विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व केन्द्रीय मंत्री संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. वीरेश्वर द्विवेदी जी की स्मृति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अवध प्रान्त द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.
श्रद्धांजलि सभा में विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक दिनेश जी ने कहा कि वीरेश्वर जी अभाव में भी सहज रहते थे. संगठन के प्रति अद्भुत निष्ठा थी. उनके जीवन में समर्पण की पराकाष्ठा को मैंने अनुभव किया है. समाज में उनका व्यापक सम्पर्क था. अशोक सिंघल जी के कहने पर श्रीराम मंदिर आंदोलन के समय मीडिया का काम देखने के लिए दिल्ली रहने लगे. उन्हें जो भी दायित्व मिला, उसका उन्होंने निष्ठा से निर्वहन किया. मैंने उन्हें राष्ट्रधर्म के कमरे से दिल्ली के विहिप कार्यालय तक में देखा है. उन्होंने कभी अपना व्यक्तिगत कष्ट नहीं बताया. वे बीमारी में भी नियमित शाखा में जाते थे. वे कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित रहते थे. वे बहुआयामी व्यक्तित्व व लेखनी के धनी थे. उन्हें कभी गुस्से में नहीं देखा. वे सहजता से गलत को गलत और सही को सही कहते थे. वीरेश्वर जी ने राष्ट्रधर्म में अपनी अन्तिम लेखनी से जिस कविता को लिखा, उसमें उन्होंने डॉ. हेडगेवार से लेकर डॉ. मोहन भागवत तक के पूरे इतिहास को लिख दिया है. उस कविता को सभी को पढ़ना चाहिए.
राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि, ”वीरेश्वर जी से छात्र जीवन से परिचय रहा. वे मेरे पिताजी के मित्र थे. वीरेश्वर जी को कई बार राष्ट्रधर्म की छत पर भयंकर गर्मी में तपते हुए टीनशेड में भी काम करते देखा है. मंदिर आंदोलन के समय उनके महत्वपूर्ण योगदान को हम लोगों ने देखा. वे अटल जी के चुनावों में समन्वय का काम करते थे. मैं और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी दोनों उनके साथ काम करते थे. वीरेश्वर जी कई महत्वपूर्ण लोगों के शिल्पकार हैं, उन्हें इस रूप में भी याद किया जाएगा”.
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने वीरेश्वर जी की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि, ”हमारे मानस पटल पर वे सदैव अंकित रहेंगे. उनके संघर्ष के दिनों को आज हम सभी लोग याद कर रहे हैं. उनके अन्दर कार्यकताओं का मान रखने का अपार गुण था. वे कार्यकताओं की पैरवी करने दिल्ली से आ जाते थे”.
“मैं लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष था, उस समय वीरेश्वर जी राष्ट्रधर्म के सम्पादक थे. मेरी भेंट उनसे होती और वह जुड़ाव अब तक बना रहा . उनके जीवन से हम प्रेरणा ले सकते हैं कि उनकी तरह हम लोग भी कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे”.
प्रान्त प्रचारक कौशल जी ने कहा कि, “वीरेश्वर जी का सैकड़ों परिवारों में संपर्क था. दिल्ली से लखनऊ केन्द्र होने के बाद लगभग प्रतिदिन परिवारों में उनका प्रवास होता था एवं रुग्णावस्था में भी स्वयंसेवकों की चिन्ता करना उनकी प्राथमिकता में शामिल था”.
वीरेश्वर जी को याद करते हुए उनके पुराने साथी डॉ. देवदत्त शर्मा जी ने आपातकाल के दिनों का स्मरण किया, और वीरेश्वर जी छद्म नाम राजाराम शर्मा से मेरे घर पर रहते थे. वे दिनभर समाचार इकट्ठा करते और उसे “अंगारा” नाम के अखबार में छापते थे. मेरा मकान छोटा था, हम गरीब थे. हमने कभी उन्हें भोजन एवं जलपान नहीं कराया. उनका कहना था कि पुलिस को शक नहीं होगा कि इस टूटे-फूटे घर में भी मैं रह सकता हूँ. वे रात में आते थे और भुने चने खाकर सो जाते थे”.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा कि, “वीरेश्वर जी स्वयं में एक संस्था थे. छात्रसंघ के अध्यक्ष से लेकर संगठन के ध्येय-यात्री के रूप में उन्होंने जो कार्य किये वो प्रेरणादायी हैं. उनके लेखन में संवेदना कूट–कूट कर भरी है. उनमें अव्यक्त को व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता थी”.
विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री हरेंद्र प्रताप जी ने वीरेश्वर द्विवेदी जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि, “1978 में पटना से आगरा आए और वहाँ से जयपुर की बैठक में जाने के दौरान उनसे ट्रेन में पहली भेंट हुई. आज के केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी उस समय हमारे साथ थे. उस पहली मुलाकात में ही उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावी लगा. 1979 में देश में जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ शिक्षा की कई मांगों को लेकर जब पटना से दिल्ली यात्रा निकली, तो खुली जीप में जलते दीप को लेकर यात्रा में जाना था. उस दीप में अरंडी का तेल डालना पड़ता था. तेल डालने वाले कार्यकर्ताओं के कपड़े खराब हो जाते थे. कई कार्यकर्ता जल भी गए. तब प्रयाग में वीरेश्वर जी ने व्यवस्था बनायी कि पूरे उत्तर प्रदेश की यात्रा में तेल डालने वाले कार्यकर्ताओं के लिए नए कपड़े अगले दो-तीन दिन में मिल जाएंगे और ऐसा हुआ भी. उस समय उनकी दूर दृष्टि से पता चला कि बड़ा व्यक्ति कैसे चिन्ता करता है”.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विविध संगठनों के पदाधिकारियों ने वीरेश्वर द्विवेदी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की.
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन समूह के निदेशक एवं सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख पूर्वी उप्र. मनोजकान्त ने किया.
श्रद्धांजलि सभा में विहिप कार्यकर्ताओं सहित प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि व विविध संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित रहे.