जयपुर. राज्य सरकार के देवस्थान विभाग द्वारा प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के अधिग्रहण की मंशा को लेकर जारी नोटिस के बाद सरकार का विरोध बढ़ता जा रहा है. पिछले 2 दिनों से आसपास के गांव के लोगों के विरोध के बाद शनिवार को विश्व हिन्दू परिषद ने सरकार की मंशा का विरोध किया है. विहिप के क्षेत्रीय मंत्री सुरेश उपाध्याय ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का अधिग्रहण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यदि सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो पूरा हिन्दू समाज आंदोलन पर उतरेगा.
उन्होंने कहा कि विहिप अपने स्थापना के समय से ही मंदिरों व संतों का विशेष तौर पर सम्मान करती आई है. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का यह स्पष्ट मानना है कि देश में जितने भी मंदिर हैं, वे सरकार के अधिग्रहण में नहीं होकर हिन्दू समाज व परंपरागत चली आ रही पुजारी परंपरा के अधीन ही होने चाहिए. उपाध्याय ने कहा कि मंदिर से होने वाली आय का खर्च भी हिन्दू समाज के उत्थान पर ही होना चाहिए. बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पूरे देश में मंदिरों की आय राज्य सरकारें लेकर उसका खर्च दूसरे धर्म के लोगों को दी जाने वाली सुविधाओं पर करती हैं. सैद्धांतिक रूप से विश्व हिन्दू परिषद का मानना है कि सभी मंदिर हिन्दू समाज की संपत्ति हैं और इनका संचालन समाज में संतों के हाथों में ही होना चाहिए.
आंदोलन पर उतरेगा हिन्दू समाज
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री उमाशंकर ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि ब्रह्मलीन महंत किशोरपुरी महाराज के अंतिम संस्कार से पहले ही मंदिर की कथित अनियमितताओं को लेकर सरकार की ओर से नोटिस जारी हो गया. यह एक बड़े षड्यंत्र को दर्शाता है. सरकार का यह मानना कि मेहंदीपुर बालाजी स्थान परंपरागत स्थान नहीं है, लेकिन इसका निर्णय सरकार नहीं समाज को करना चाहिए. यहां बाल्यकाल से ही महंत द्वारा बालाजी मंदिर की सेवा-पूजा की जा रही थी. इसके साथ ही यहां के ट्रस्ट द्वारा सेवा के अनेकों कार्य होते रहे हैं, ऐसे में सरकार के निर्णय पर कई प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं. विश्व हिन्दू परिषद इसका पुरजोर विरोध करती है. यदि सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो हिन्दू समाज को साथ लेकर आंदोलन किया जाएगा.
पूर्व मंत्री व मालवीय नगर से भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को अधिग्रहण करने की मंशा को किसी भी स्थिति में सफल नहीं होने दिया जाएगा. जिस भी स्तर पर विरोध की जरूरत पड़ेगी, भाजपा द्वारा वह किया जाएगा.
इस दौरान सेवा भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री मूलचंद सोनी, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष प्यारेलाल मीणा, जिला मंत्री एडवोकेट खेम सिंह गुर्जर समेत वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने ब्रह्मलीन महंत को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
व्यापार मंडल ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के अधिग्रहण को लेकर देवस्थान विभाग द्वारा दिए गए नोटिस के विरोध में लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है. विरोध में एक दर्जन गांवों के लोग लामबंद हो गए हैं. शनिवार को भी बालाजी व्यापार मंडल से जुड़े लोगों ने एक धर्मशाला में मीटिंग आयोजित कर सरकार के निर्णय का विरोध जताया. लोगों का कहना था कि बालाजी मंदिर के ब्रह्मलीन महंत किशोरपुरी महाराज द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किए गए थे. उनके सान्निध्य में ट्रस्ट द्वारा पूर्वी राजस्थान के पिछड़े क्षेत्र में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेकों अच्छे कार्य किए गए. इससे समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ा है. इसके साथ ही बालाजी धाम के विकास के लिए भी उन्होंने अनेकों कार्य किए थे. वहीं उनके उत्तराधिकारी महंत नरेशपुरी द्वारा ब्रह्मलीन महंत की परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है. ऐसे में सरकार द्वारा यदि बालाजी मंदिर का अधिग्रहण किया जाता है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. लोगों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर अधिग्रहण की कार्रवाई का कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
सरकार को दिया था 73 लाख का सहयोग
ज्ञापन में कहा गया कि बड़े दुख की बात है कि एक तरफ ब्रह्मलीन महंत की पार्थिव देह रखी हुई थी कि दूसरी तरफ सरकार ने अधिग्रहण का नोटिस थमाकर लाखों भक्तों की आस्था पर कुठाराघात किया है. ब्रह्मलीन महंत किशोरपुरी समूचे बालाजी कस्बे सहित आसपास के दर्जनों गांवों के पूज्य अभिभावक थे. उनके द्वारा किए गए कार्यों से पूरे क्षेत्र में शिक्षा समेत अन्य सभी क्षेत्रों में विकास हुआ है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा कोरोना काल में भी राज्य सरकार को 73 लाख रूपये की आर्थिक सहायता व तीन महीने तक रोजाना एक हजार से अधिक गरीब लोगों को भोजन सहायता देकर सामाजिक सरोकार निभाया था. इन सामाजिक कार्यों की स्वयं मुख्यमंत्री ने भी सराहना की थी.
40 साल पहले नरेशपुरी को बनाया था उत्तराधिकारी
ब्रह्मलीन महंत किशोरपुरी महाराज ने मंदिर ट्रस्ट की व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए 12 अक्तूबर 1979 को नरेशपुरी गोस्वामी को अपना एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित किया था. जिसे लेकर अभी तक कोई विवाद की स्थिति भी नहीं है. वहीं ब्रह्मलीन महंत के अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएं उत्तराधिकारी महंत नरेशपुरी द्वारा की गई है, जिसे आसपास के दर्जनों गांवों के पंच-पटेलों में सहर्ष स्वीकार करते हुए बालाजी मंदिर का महंत स्वीकार किया है.
देवस्थान की कार्रवाई रोकने की मांग
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की व्यवस्थाओं के सुगम संचालन के बावजूद कथित तौर पर अव्यवस्थाओं का हवाला देते हुए देवस्थान विभाग द्वारा 10 अगस्त को नोटिस देकर जवाब तलब करने से स्थानीय लोगों सहित आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है. लोगों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की कि हजारों लोगों की जन भावनाओं का सम्मान करते हुए देवस्थान विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई को तुरंत प्रभाव से रोका जाए नहीं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
इस्लामिक ट्रस्टों का अधिग्रहण सरकार क्यों नहीं करती सरकार
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के अधिग्रहण मामले में सांसद जसकौर मीणा ने कहा कि आज बहुत सारे इस्लामिक ट्रस्ट हैं, जिनका अधिग्रहण सरकार क्यों नहीं करती है. जबकि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रस्ट तो बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, चिकित्सा, सड़क सहित सामाजिक सरोकार निभाने में पिछले कई दशक से अग्रणी रहा है. उन्होंने कहा कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हिन्दू धर्म की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है. पूरे देश के लोग दर्शनों के लिए आते हैं, यहां से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. ऐसे में यदि राज्य सरकार मंदिर अधिग्रहण को लेकर कोई कार्रवाई करती है तो इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता.