काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार ने कहा कि अपनी भूमि, अपने भू-भाग की रक्षा के लिए हम जिस प्रकार संघर्ष करते हैं, लड़ाईया लड़ते हैं उसी प्रकार भूमि के संरक्षण की भी चिंतन करने की आवश्यकता है. हम स्पष्ट देख सकते हैं कि इस धरती का, प्रकृति का शोषण किस प्रकार किया जा रहा है. इसे हमें रोकना होगा. अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा, जिससे हम सुखी जीवन व्यतीत कर सकें.
भदोही में आयोजित वर्ग में उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि भूमि के संरक्षण के लिए वर्ष प्रतिपदा (13 अप्रैल 2021) से एक माह (13 मई) तक काशी प्रान्त में “भूमि सुपोषण अभियान” चलाया जाएगा. इस अभियान में पर्यावरण गतिविधि, ग्राम विकास गतिविधि, गौ सेवा गतिविधि, रामकृष्ण मिशन, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं गायत्री परिवार सहित अन्य संगठनों-संस्थाओं से जुड़े कार्यकर्ता का सहयोग मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस दौरान स्वयंसेवक प्रांत के प्रत्येक जिले गांव के किसानों के बीच इस विषय को लेकर जाएंगे और धरती के शोषण से होने वाली हानि और भू-संरक्षण के उपाय और उससे होने वाले लाभ से उन्हें अवगत कराएंगे.
उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़े के अनुसार अपने देश की लगभग 30% भूमि इस समय बंजर (कृषि कार्य हेतु अयोग्य) हो चुकी है जो हमारे लिए उपयोगी बन सकती है. इस अभियान का उद्देश्य भूमि संरक्षण के साथ किसानों में वैदिक विधि से धरती पूजन के भाव का जागरण करना भी है. उपस्थित स्वयंसेवकों से क्षेत्र प्रचारक ने कहा कि जो कोई भी व्यक्ति जैविक खेती, पशु-पक्षियों की रक्षा, धरती पूजन, पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा जैसे कार्य में रुचि रखता हो, उसे हमें इस अभियान से जोड़ना है.
कार्यक्रम के पश्चात बातचीत के दौरान विश्व संवाद केंद्र काशी के प्रमुख राघवेंद्र जी ने कहा कि प्रकृति, संस्कृति और समाज के जिन प्रमुख विषयों पर जनसंख्या के अनुसार सार्थक पहल अल्प मात्रा में हो रही है, उन विषयों पर पश्चिमी क्षेत्रों की फ़िल्म निर्माण करने वाली संस्थाएं एलीजिएम, पिरान्हा 3डी जैसी फिल्मों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही हैं. उन्होंने कहा कि तकनीक हमें सुविधाएं तो दे रही है, किन्तु विज्ञान का यह वरदान हमारे भविष्य के लिए अभिशाप सिद्ध न हो, इसलिए हमें यह समझना होगा. अभियान के माध्यम से हमें लोगों को जागरूक कर प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकना होगा एवं प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा. “माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:” इस भाव को अंगीकार करते हुए हम सभी को एक संगठित शक्ति बनकर भूमि सुपोषण अभियान में जुटना होगा.