गुवाहाटी. नागालैंड के शिक्षा एवं जनजाति मामलों के मंत्री तेमजेन इमना अलोंग ने कहा कि हम लोग भारत से अलग नहीं ! हम हिंदुस्तानी हैं, भारतीय हैं. इस पर हम गर्व महसूस करते हैं. वे We The People Of India पुस्तक के ऑनलाइन विमोचन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.
कोविड-19 महामारी के समय पूर्वी राज्यों के लाखों विद्यार्थी देश के विभिन्न प्रदेशों में विशेषकर बेंगलुरु, मुंबई, बड़ोदरा, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली, चंडीगढ़,सहित अन्य स्थानों पर लॉकडाउन के दौरान फंस गए थे, उन्हें उस समय सहायता व सहयोग तथा सुरक्षा की आवश्यकता थी. उस समय देश के बंधुओं ने समाज का सहयोग लेकर इन विद्यार्थियों की तत्कालीन आवश्यकता की पूर्ति करते हुए सहयोग व सुरक्षा प्रदान की. जिसकी विद्यार्थियों के साथ समाज व सरकारों ने सराहना की तथा अपने अभिनंदन संदेश से उन्हें प्रोत्साहित किया. इंडिजिनियस कल्चरल सोसायटी ऑफ मिजोरम के डेविड ने पूर्वोत्तर के लोगों के संदेश एवं विद्यार्थियों के अनुभव को संकलित कर सुंदर चित्रण कर पुस्तक की रचना की.
तेमजेन इमना अलोंग ने कार्यक्रम के लिए परमेश्वर को धन्यवाद किया तथा डेबिड का अभिनंदन करते हुए कहा कि We The People Of India बनाने पर बेहद प्रसन्न हूं. कई बार हम पूर्वोत्तर के लोग अपने को केवल 7 सिस्टर या 8 सिस्टर में बांट कर रखते हैं, इसमें हमारी भी कुछ कमियां हैं… कुछ देश के लोगों की. किंतु जब से केंद्र में राष्ट्रीय विचार की सरकार आई है, तब से हम The People Of India की भावना को न केवल अंतरात्मा से महसूस करते हैं, बल्कि इस पर गर्व भी करते हैं. हम भारत से कभी अलग नहीं, हमारे में जो Narrative आया है, वह गलत है. देश स्वतंत्र होने के समय समस्याएं अधिक थीं, पूर्वोत्तर को ठीक से ध्यान देने वाले नहीं थे. किंतु जब से राष्ट्रीय विचार की सरकार आई है, तब से हम हिंदुस्तानी एवं भारतीय कहलाने पर गर्व का अनुभव करते हैं. भारत में यदि दक्षिण के लोग अपने को अलग समझें, उत्तर के लोग अलग समझें, वैसे ही पूर्वोत्तर के लोग अलग समझेंगे तो भारत कहां रहेगा. परिवार में ही कूटनीति चलाने लगे तो घर कैसा चलेगा?
उन्होंने कहा कि हमें एक भारत ! श्रेष्ठ भारत ! अंतरात्मा से महसूस होना चाहिए. पूर्वोत्तर के सब लोग हिंदुस्तानी एवं भारतीय हैं. हमें देशभक्ति की भावना को मन में रखकर आशा करनी चाहिए. मैं पूर्वोत्तर के लोगों को कहना चाहता हूं कि यहां के बहुत सारे लोग जनजाति हैं, यहां की स्वतंत्रता इतनी महान है कि हम अपने मन की हर दुविधा को, हर एक बात को देश के सामने रख सकते हैं.
कुछ लोग खुदगर्जी नहीं छोड़ पा रहे हैं, इसलिए बदनाम कर रहे हैं. कोविड-19 में विश्व ने महान देश के रूप में भारत को स्थान दिया है. रूस, अमेरिका जैसे विकसित देश भी कोविड-19 को संभाल नहीं पाए. यह कोई नहीं कह सकता कि मोदी ने कोविड-19 में कोई काम नहीं किया, बल्कि उन्होंने कोविड से लड़ने का साहस बढ़ाया है.
सेवा भारती एवं अन्य संगठनों ने बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित अन्य स्थानों पर भोजन, दवाई, अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान कीं, यातायात की सुविधा भी दी. हमारे विद्यार्थियों को घर तक पहुंचाने में मदद की. इसके लिए हम कोटि-कोटि धन्यवाद करते हैं. इन संगठनों ने जो कार्य किया, उसे पुस्तक रूप में संकलित किया है. देर आए, किंतु दुरुस्त आए ! हम चाहते हैं कि यह सर्वदूर पहुंचे. यदि देश के लोग पूर्वोत्तर को अलग मानते तो तो वे सहयोग क्यों करते? उन्होंने हमें स्नेह -प्रेम दिया, आज पूर्वोत्तर में विकास की गंगा बह रही है. नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल, मणिपुर तथा संपूर्ण पूर्वोत्तर में फोरलेन बिछाई जा रही है, सर्वदूर सड़कें, बिजली, गैस इत्यादि की सुविधा तथा प्रत्येक राज्य में एकलव्य विद्यालय, फ्री स्कूली शिक्षा के साथ अनेक विकास कार्य हो रहे हैं. पूर्वोत्तर भारत के विकास का इंजन बनेगा. हम भारत को विश्व का भारत बनाएंगे.
डॉ. जोराम आनिया ताना ने भूमिका रखते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के समय परस्पर सहयोग से ही बचा जा सकता था. इस कालखंड में देश भर लोगों ने आगे आकर सेवा परोपकार व पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों को सहयोग किया, वह अभूतपूर्व है. उन्होंने हिंद देश के वासी. सब जन एक हैं…की भावना को साकार किया है.
मिजोरम के डेविड ने पुस्तक का परिचय कराते हुए कहा कि देशभर के 15 प्रदेशों के 84 स्थानों पर 7908 लोगों को सहायता प्रदान की है तथा सैकड़ों विद्यार्थियों के अनुभव एवं अरुणाचल के मुख्यमंत्री, मेघालय के मुख्यमंत्री, नागालैंड सरकार के मंत्री तथा अन्य राज्यों के अनेक महानुभावों के संदेश को चित्रित कर एक सुंदर नोटबुक काफी टेबल बुक के रूप में प्रस्तुत किया है. इससे कोविड-19 के पहले विद्यार्थियों की मानसिकता में कोविड-19 के बाद की मानसिकता में बहुत बड़ा सकारात्मक अंतर आया है.