पटना (विसंकें). पटना से करीब 2642 किलोमीटर दूर केरल के कोट्टम में बेटी ने नाम रोशन किया है. पायल कुमारी केरल स्थित महात्मा गांधी विश्वविद्यालय परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल किया है. पायल के पिता श्रमिक हैं, तथा रोजगार के लिए केरल में रहते हैं. करीब बीस साल पहले प्रमोद कुमार रोजी-रोटी के लिए केरल चले गये थे. प्रमोद कुमार बिहार के शेखपुरा स्थित गोसाईमाधि के रहने वाले हैं. पायल की मां बिंदु देवी गृहिणी हैं.
एर्नाकुलम में एक हार्डवेयर की दुकान पर काम करने वाले एक श्रमिक की बेटी पायल ने केरल के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मारथोमा कॉलेज फॉर वुमन, पेरुम्बावूर से बीए पुरातत्व और इतिहास (मॉड्यूल-2) परीक्षाओं में विवि में पहला स्थान हासिल किया है. पायल प्रारंभ से ही पढ़ने में प्रतिभाशाली रही हैं. पायल ने कक्षा 10वीं में 83 प्रतिशत अंक और कक्षा 12वीं में 95 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे. पुरातत्व इतिहास उसका प्रिय विषय था. इसलिए उसने स्नातक में इस विषय को चुना. अब वह इसी विषय से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल करना चाहती है. उसके माता-पिता उसे प्रशासनिक सेवा में देखना चाहते हैं.
पायल के पिता प्रमोद कुमार अपने परिवार को बेहतर जीवन देने के लिए वर्ष 2001 में बिहार से केरल चले गए थे. शुरुआत में कोच्चि और उसके बाद एर्नाकुलम में उन्होंने काम किया. वर्तमान में वे कंगारापड्डी में हार्डवेयर की दुकान पर काम करते हैं. पायल की राह इतनी आसान नहीं थी. पायल ने यह सफलता गृहकार्य करते हुए हासिल की. घर के बुरे हालात में तो कई बार ऐसा लगा कि अब पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी. लेकिन, हिम्मत के बल पर उसने यह सफलता प्राप्त की. पायल सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहती हैं. एनएसएस की वालंटियर पायल ने 2018 में केरल बाढ़ के दौरान राहत कार्य में भी भाग लिया था,.
पायल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि माता-पिता हमेशा से उच्च शिक्षा दिलाना चाहते हैं. वे सभी एक कमरे में रहते हैं. कोच्चि में परिवार की परेशानी को देखते हुए एक बार तो लगा था कि पढ़ाई छोड़कर कुछ काम करूं. लेकिन, शिक्षकों व दोस्तों की प्रेरणा से पढ़ाई में मेहनत की.
विशेष बात यह है कि पायल घर पर अपनी मातृभाषा हिंदी और भोजपुरी बोलती है, लेकिन कॉलेज में वह शानदार मलयालम बोलती है.