शिक्षा में प्राचीन परंपराओं व आधुनिकता में सामंजस्य बनाने पर बल
सर्वहितकार एनआरआई सम्मेलन – 2016 में विभिन्न मुद्दों और सहयोग पर चर्चा
जालंधर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि पहले मुस्लिम आक्रांताओं ने देश को लूटा और बाद में अंग्रेजों ने इसे लगभग बर्बाद कर दिया, लेकिन अपनी मेधा के बल पर अब पुन: भारत बदल रहा है, दुनिया में भारतीयों को देखने का नजरिया बदल रहा है और अनिवासी भारतीयों को बदलाव की गति को बढ़ाने में अपना सहयोग देना चाहिए. सह सरकार्यलाह जी श्री गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में स्थित सर्वहितकारी शिक्षा समिति परिसर में आयोजित अनिवासी भारतीयों के सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में अपनी महान प्राचीन परंपराओं को बनाए रखने व उसका आधुनिकता के साथ सामंजस्य बैठाने की जरूरत पर जोर दिया.
डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि विभिन्न आक्रांताओं की सदियों की लूटखसूट के बावजूद अंग्रेजों के आने तक भारत की विश्व व्यापार में हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से भी अधिक थी. आयात के नाम पर हम केवल सोना मंगवाते और कोई ऐसी वस्तु न थी, जिसका हम निर्यात न करते हों. खुद अंग्रेज इतिहासकारों ने हमारी समृद्धि के गुणगान किए हैं, लेकिन अंग्रेजों के दो सौ सालों की दासता से स्थिति बिलकुल विपरीत हो गई. भारत भूख और अभावों से ग्रस्त हो गया. इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है कि दुर्दांत जातियां सभ्य समाज को एक समय तो अधीन करने में सफल हो जाती हैं, परंतु सभ्य लोग अपनी मेधा के बल पर पुन: स्थापित हो जाते हैं. अपनी मेधा के बल पर जहां भारतीय अपने देश के अंदर बदलाव ला रहे हैं, वहीं असंख्य भारतीयों ने विदेश में जाकर देश की छवि को बदला है. आज भारत के वैज्ञानिक, टैक्नोक्रेट्स, सूचना क्रांति के विशेषज्ञ, चिकित्सक सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ दुनिया में छाए हुए हैं. दुनिया का भारत को देखने का नजरिया बदल रहा है.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि अपनी मातृभूमि से जुड़ाव मानवीय प्रवृति है. पारसियों का उदाहरण बताता है कि सदियों बाद भी लोग अपनी मिट्टी से जुड़े रहते हैं. देश के अंदर हम चाहे जिस पंथ, जाति, समुदाय, प्रांत के हों, परंतु विदेश में मिलते हैं तो भारतीय के तौर पर. अपने देश के प्रति यही लगाव है जो अपनी संपन्नता के बाद मानव को इस बात के लिए मजबूर करता है कि अपना देश भी संपन्न हो. देश को पुन: अपना गौरवशाली स्थान दिलवाने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है – शिक्षा और अनिवासी भारतीयों को इस क्षेत्र में आगे आकर सहयोग देना चाहिए. उन्होंने कहा कि विद्या भारती (पंजाब में सर्वहितकारी शिक्षा समिति) के माध्यम से देश में हजारों की संख्या में विद्यालय चल रहे हैं जो देश के आंतरिक हिस्सों से लेकर सीमांत क्षेत्र के लाखों बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुरूप संस्कारी शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. बिना सरकारी सहयोग के चलने वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा शैक्षिक संगठन है और इसका श्रेय प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति को जाता है, जिसमें शिक्षा को व्यापार नहीं बल्कि दान का विषय माना जाता है और शिक्षा व्यवस्था के संचालन की जिम्मेवारी समाज की है.
गणमान्यों का स्वागत करते हुए सर्वहितकारी शिक्षा समिति के प्रदेश संगठन मंत्री विजय सिंह नड्डा ने बताया कि पंजाब में 118 विद्या मंदिरों में 2400 अध्यापक 47987 विद्यार्थियों, 205 बाल संस्कार केंद्रों में 4290 छात्रों शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. एनआरआई सम्मेलन का उद्देश्य अनिवासी भारतीयों को शिक्षा उत्थान के कार्यों के साथ जोड़ना है. इसके लिए वे किसी भी स्कूल, शिक्षा परियोजना के साथ जुड़ सकते हैं.
पंजाब प्रांत संघचालक स. बृजभूषण सिंह बेदी जी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य महावीर जी, विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अशोक बब्बर जी, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना जी, गायक हंसराज हंस जी, सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे.