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हिज्ब उत तहरीर के लिए काम करता था आबिद

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शिमला (विसंकें). हिमाचल के जिला कुल्लू से पकड़ा गया आईएस आतंकी आबिद हिज्ब उत तहरीर नाम के कट्टरपंथी संगठन के लिए काम करता था. हिरासत में लिया गया आतंकी अभी भी बहुत से सवालों का उत्तर वह नहीं दे रहा. एनआईए, आईबी, पुलिस और सीआईडी के अधिकारी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया के आतंकी आबिद से लगातार पूछताछ कर रहे हैं. कुल्लू के पुलिस अधीक्षक पद्म चंद ने बताया कि आबिद खान से पूछताछ लगातार जारी है. आतंकी आबिद के तार हिज्ब उत तहरीर से जुड़े बताए जा रहे हैं.

अब तक भारत में इस संगठन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. आबिद देश के कई राज्यों में आतंकी गतिविधियों को करने के लिए लोगों को संगठन से जोड़ने का काम कर रहा था. इस संगठन में 10 हजार सदस्य जुड़े बताये जा रहे हैं. आबिद खान सोशल मीडिया जैसी नयी तकनीकों का प्रयोग करके सदस्यों को जोड़ने में लगा था. आबिद ने बंजार के सिधवा में एक कमरा किराये पर ले रखा था. यहां पर स्थानीय क्रिश्चियन पास्टर की मदद से वह पॉल बनकर रहता था. बंजार आने से पहले उसने धर्म परिवर्तित करके श्रीलंका से पादरी की शिक्षा ली थी. बैंगलुरू के एक प्रसिद्ध चर्च से उसको कुल्लू में मौहल नामक स्थान पर प्रचार के लिए भेजा गया था. बंजार में धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को साथ लेकर वह चर्च चलाने लगा. इसके लिए स्थानीय स्तर पर कमरा लेकर मकान के बाहर विलीवर्ज चर्च का बोर्ड टांग दिया ताकि उसके नापाक इरादे किसी के सामने न आ पाएं. उसने कुछ दलित लोगों को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया. आतंकी संगठनों में संपर्क के लिए उसने स्थानीय स्तर पर जियो सिम का जुगाड़ भी कर लिया था. उसकी पॉल और आबिद नाम से अलग-अलग आईडी भी बनी हुई है. इंटरनेट के प्रयोग से वह अनेक आतंकी संगठनों के संपर्क में था. उसके कमरे से बारूद और एक कफन भी मिला है. बारूद को एएनआई लैब में जांच के लिए भेजा गया है. मंडी रैंज के पुलिस महानिरीक्षक अजय यादव कुल्लू पहुंचे और पूरे घटनाक्रम पर पुलिस से फीडबैक लिया. कुल्लू से पकड़े आतंकी से पूछताछ के लिए तेलंगाना से भी पुलिस अधिकारी कुल्लू आ चुके हैं. उनके द्वारा भी आरोपी से पूछताछ की जा रही है. एएसपी निश्चिंत नेगी के अनुसार आरोपी के 6 महीनों को विवरण लिया जा रहा है कि वह किस प्रकार कुल्लू पहुंचा और चर्च से उसने कैसे और क्या काम किया. आरोपी से जब्त लैपटॉप से भी उसके संदर्भ में जानकारियों को खंगाला जा रहा है.

आतंकियों के लिए हिमाचल सुरक्षित ठिकाना

देवभूमि कहलाने वाले शांत प्रदेश में पहले भी आतंकी शरण ले चुके हैं. इनमें हैदराबाद में अदालत द्वारा फांसी की सजा पाने वाले इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी यासिन भटकल का हिमाचल के धर्मशाला से संबंध सामने आया था. अगस्त 2013 को पकड़े जाने से पहले उसने अपने दो आदमी रैकी करने के लिए धर्मशाला भेजे थे. पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में मास्टरमाइंड रहे जैश ए मुहम्मद प्रमुख के तार भी हिमाचल से जुड़े हैं. धर्मशाला में ही 2002 में सेना के योल कैंप में एक ठेकेदार मोहम्मद जागीर से भारत विरोधी भड़काऊ भाषण की कैसेट बरामद हुई थी. इस घटना में एक मौलवी को भी हिरासत में लिया गया था. बैजनाथ में एक संदिग्ध को धरा गया था जो अपना नाम बदलकर किशन के नाम से रह रहा था. पुलिस शिनाख्त में उसका नाम सैफुद्दीन पाया गया था. दिसम्बर 2010 में कोटला में स्थानीय पुलिस ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो आतंकियों जलील अहमद और गुलाम नवी को हिरासत में लिया था. बाद में ट्रांजिट रिमांड में पता चला कि जम्मू और कश्मीर में वह कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे और उन पर 19 केस दर्ज थे. पुलिस के डर से वह हिमाचल में छिपे थे.

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