हरिद्वार (विसंकें). देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि प्राचीन तक्षशिला, नालंदा विवि के बाद युवाओं को गढ़ने और उनमें नैतिक मूल्यों के विकास के लिए संकल्पित हैं. देवसंस्कृति विवि में शिक्षा के साथ-साथ विद्या का अध्ययन कराया जाता है. विद्यावान युवा ही समाज को सही राह दिखा सकता है. मकर संक्रांति के अवसर पर हुए देवसंस्कृति विवि के 28वें ज्ञानदीक्षा समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. पण्ड्या विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने गीता के विभिन्न श्लोकों के माध्यम से युवाओं को ज्ञान प्राप्ति में सदैव मुस्तैद रहने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि आज देश में ऐसी शिक्षा नीति हो जो युवाओं को ज्ञानवान के साथ स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम करे, ताकि डिग्री लेने के बाद उन्हें रोजगार के लिए भटकना न पड़े. केवल कागज की डिग्री लेकर आगे बढ़ने वाले युवा एक समय के बाद अवसादग्रस्त एवं परिवार में विग्रह जैसी स्थिति का सामना करते हुए देखे जाते हैं.
समारोह के मुख्य अतिथि पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि बड़े लक्ष्य को लेकर चलने वाला संकल्पित महापुरुष ही समाज को नई दिशा देता है. आप सभी ने उन्हीं के पथ चिन्हों पर चलने के लिए ज्ञान दीक्षा समारोह के साथ अपना पग बढ़ाया है, जो सौभाग्य की बात है. संकल्प के प्रति दृढ़ता के साथ निरंतरता से आगे बढ़ने से सफलता अवश्य मिलती है. आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि योग, आसन व अध्यात्म को अपनाने से सबसे पहले स्वयं की उन्नति होती है, बाद में दूसरों की.