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ऊंच-नीच की भावना रखे बिना देश सेवा करना ही हमारा ध्येय होना चाहिए – स्वामी गोविंद गिरी जी महाराज

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पुणे..पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण विभाग की ओर से सिंहस्थ कुंभ मेले के अवसर पर पंचवटी महाविद्यालय के प्रांगण में राष्ट्रस्तरीय भव्य वनवासी सम्मेलन 15 सितंबर को संपन्न हुआ. इस अवसर पर भव्य सभा मंडप में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, प. बंगाल, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, राजस्थान, त्रिपुरा सहित विभिन्न प्रांतों से आए हुए ३५ हजार से अधिक वनवासी उपस्थित थे. सुबह पवित्र गोदावरी का विधीपूर्वक सिंहस्थ स्नान कर ये वनवासी आए थे, जबकि मंच पर भारत के विभिन्न प्रांतों से आए हुए धर्माचार्य उपस्थित थे.

इस अवसर पर स्वामी गोविन्द गिरी महाराज ने कहा कि घरवापसी करने वाले सब बंधुओं का अभिनंदन है. पूरे देश से घर वापसी करने वाले वनवासियों के भव्य सम्मेलन में आप सबके दर्शन से प्रसन्नता हो रही है. लेकिन प्रलोभन अथवा कोई डर दिखाकर दूसरे धर्मों में जाने वाले सभी लोगों की घर वापसी होना आवश्यक है.. नासिक एक पवित्र स्थान है. यह वह स्थान है जहां रावण, शूर्पणखा जैसे दुष्टों के निर्दलन की नींव यहीं पंचवटी में रखी गई. वानर, भील जैसे  वनवासी बंधुओं ने राम की मदद की थी. राष्ट्र निर्माण में सबका योगदान आवश्यक है. सबको साथ लेकर और किसी भी प्रकार के ऊंच-नीच की भावना रखे बिना देश की सेवा करना ही हमारा ध्येय होना चाहिए. अपना धर्म सबसे प्राचीन है और हम केवल हिंदू धर्म के लोग ही नहीं, बल्कि सबका कल्याण हो, इस तरह की इच्छा रखते है. वसुधैव कुटुंबकम हमारा सूत्र है. स्वामी विवेकानंद तथा महाराष्ट्र में संत ज्ञानेश्वर और निवृत्तीनाथ ने यही तत्व बताया  है. हम अत्यंत सहिष्णु है, लेकिन इसके कारण कभी कभी हमारा अहित हुआ है. अब सबको सर्वांनी तेजस्वी बनकर धर्म की साधना करनी चाहिए.

पुणेमहामंडलेश्वर जनार्दनस्वामी महाराज ने स्पष्ट किया कि धर्म जागरण विभाग के सम्मेलन के माध्यम से  कुंभ सफल हो रहा है, इस बात की संतुष्टी है. उन्होंने कहा कि यही कुंभ का उद्दिष्ट है. जैन साध्वी अमितज्योती जी महाराज और अंतर्ज्योति जी महाराज ने भी इस अवसर पर मार्गदर्शन किया.  हमारे भारत में जाति कई है, अनेक पंथ है लेकिन एक सनातन वैदिक हिंदू धर्म ही महान धर्म है. अपना धर्म छोड़कर कोई अगर दूसरे धर्म में जाए तो उसे कभी भी सम्मान और अन्य लाभ नहीं होगा.

वनवासी सम्मेलन के समन्वयक आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद ने समारोप भाषण में कहा कि  देश की दूसरे धर्मों में जाने वाले लोगों के घरवापसी कार्यक्रम चलाकर रक्षा हेतु, समाज के संरक्षण, संस्कृति के संरक्षण हेतु हिंदू धर्म में पुनः लाना आज की आवश्यकता  है. ‘धर्म जगेगा तो विश्व जागेगा’ इस उक्ति के अनुसार विश्व कल्याण के लिए हिंदू सभ्यता का प्रसार एवं उसको कायम करना समय की मांग है. कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन अनंतराव कुलकर्णी ने किया. सूत्रसंचालन अ.भा. धर्म जागरण विभाग के सह प्रमुख राजेंद्र सिंह ने किया. इस अवसर पर महामंडलेश्वर अमृतदासजी महाराज, महामंडलेश्वर जनार्दंनजी महाराज, गोरखपुर के ब्रह्मचारी रामानुजाचार्यजी, कुरुक्षेत्र स्थित दिव्यानंद्जी, आचार्य महामंडलेश्वर हभप लहवितकर महाराज, राजकोट के घनश्यामदास महाराज, पूज्य गोपालाचार्यजी महाराज, अतुल महाराज, मध्य प्रदेश के रमणगिरी महाराज, नासिक के रामदासजी महाराज, प्रांत संघचालक नाना जाधव, प्रांत कार्यवाह विनायकराव थोरात, सहित अन्य उपस्थित थे.

आठ हजार परिवर्तितों का स्नान

पुणे1सन् २००० से शुरु हुए धर्म जागरण के परिणाम स्वरूप नासिक से २०० किलोमीटर तक के परिसर में ईसाई बने हुए ४० हजार भाई- बांधवोंकी घर वापसी की थी. इन वनवासियों में से ८ हजार वनवासियों ने आज पूज्य वल्लभरायजी के साथ कुंभ स्नान किया. कुल वनवासियों की संख्या इस सम्मेलन में ४० हजार से अधिक है, यह जानकारी क्षेत्रीय धर्म जागरण प्रमुख शरदराव ढोले ने दी.

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