मेरठ (विसंकें). सेवा भारती, मेरठ महानगर द्वारा डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी की 127वीं जयन्ती विश्व संवाद केन्द्र, सूरजकुण्ड रोड पर 15 अप्रैल को धूमधाम से मनाई गयी. कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ भारती व बाबा साहब के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षा संगीता सिंह जी ने बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करते हुए समाज में समता, बन्धुत्व भाव बनाने का आग्रह किया. उन्होंने संघ परिवार की प्रशंसा करते हुए उल्लेख किया कि समस्त हिन्दू सहोदर हैं. कोई भी पतित नहीं है.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अजय मित्तल जी ने ‘जय भीम जय मीम’ नारे को औचित्यहीन बताया. इसे बाबा साहब ने पूरी तरह से खारिज कर दिया था. बाबा साहब के बारे में समाज अनेक भ्रांतियों का शिकार है. बाबा साहब ने कभी भी हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा का विरोध नहीं किया, बल्कि अपने एक अनुयायी द्वारा गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना की प्रशंसा की. शील विहीन शिक्षा आसुरी है, तभी उनके तथाकथित अनुयायी हिंसा कर बैठते हैं. यदि बाबा साहब को अपना आदर्श हम मानते हैं तो हिन्दू समाज को जातिविहीन समाज की स्थापना पर जोर देना होगा.
मुख्य वक्ता लक्ष्मीप्रसाद जी (क्षेत्रीय समरसता प्रमुख) ने डॉ. आम्बेडकर जी की विद्वता, सत्याग्रह के प्रति निष्ठा, एक कुशल श्रमिक नेता, संविधान निर्माता, मानव शास्त्री व एक बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. उनका जीवन समाज के सभी वर्गों के लिये अनुकरणीय है. राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र उनके आग्रह से ही शामिल हुआ. उसी प्रकार भगवा ध्वज के प्रति उनके मन में अगाध-श्रद्धा थी. कार्यक्रम के उपरांत मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.