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गौसेवा, गौ संरक्षण के लिए समाज एकजुट होकर कार्य करे – अनिल ओक जी

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himalaya-hunkar-patra-vimochanदेहरादून (विसंकें). रविवार को देहरादून में पाक्षिक पत्रिका ‘हिमालय हुंकार’ के ‘गौमाता विशेषांक’ का विमोचन किया. इस अवसर पर विश्व संवाद केन्द्र, देहरादून के निदेशक विजय कुमार ने गौरक्षा के लिए 1872 में मलेरकोटला (पंजाब) तथा 1918 में कटारपुर (हरिद्वार) में हुए संघर्ष एवं उनके बलिदानियों को याद किया. उन्होंने गोरक्षा की चर्चा की तथा विविध पक्षों पर अपने विचार व्यक्त किए. पत्रिका के प्रबंध सम्पादक रणजीत सिंह ज्याला जी ने 07 नवम्बर 1966 को गौहत्या बन्दी के लिए दिल्ली में हुए विराट प्रदर्शन की पचासवीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में निकाले गये विशेषांक की जानकारी दी.

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने जी ने ‘हिमालय हुंकार के गौमाता विशेषांक को शुभकामनाएं दी तथा कहा कि गौरक्षा एवं संवर्धन का प्रश्न केवल भावात्मक ही नहीं आर्थिक भी है. गौरक्षा की जिम्मेदारी पूरे समाज की है. इस्लाम में भी गौहत्या की मनाही है. उन्होंने गौहत्या के प्रश्न पर मीडिया के रुख पर चिन्ता व्यक्त की तथा कहा कि मीडिया गौ संरक्षण के प्रश्न को हिन्दू मुस्लिम बनाकर प्रस्तुत करता है. जिससे अनेक समस्याएं खड़ी होती है. समाचारों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है. जिससे सच्चाई जनता के सामने नहीं आती.

jagdish-upasne-jiउन्होंने कहा कि पत्रकारों को यह विश्वास रखना चाहिए कि पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण विशिष्ट और उत्साहजनक कला है और इसे ईमानदारी के साथ किया जाए तो यह देश और समाज की सबसे बड़ी सेवा कर सकती है. पत्रकार पत्रकारिता को पुनर्परिभाषित करें. पत्रकारिता में उपादेयता, विश्वसनीयता और भरोसेमंद तथा पारदर्शी होना हमेशा महत्वपूर्ण है. पत्रकारिता दूसरों के लिए भले उद्योग हो, पत्रकारों के लिए समाज परिवर्तन और प्रबोधन की कला है. मीडिया चाहे जो हो पत्रकार को उसके लिए स्वयं को तैयार करना चाहिए.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केन्द्रीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी ने कहा कि गौ सेवा, गौ संरक्षण समाज की जरूरत है. इसे करने के लिए देशवासी बिना भेदभाव एकजुट होकर कार्य करें. गौहत्या के लिए केवल कसाई ही नहीं, हम भी जिम्मेदार हैं. गौ संरक्षण के लिए हम क्या कर सकते हैं, इसका संकल्प लेने का समय है. गंगा, गायत्री, तुलसी और गाय को माता कहते हैं. ये सभी मातायें भारत माता के अन्दर रहती है. इनका संरक्षण भारत माता का संरक्षण है. विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार जी धन्यवाद किया. संचालन राजकुमार टांक ने किया.

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