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लॉकडाउन में 6 लाख से अधिक लोगों को मिलेगा राहत शिविरों में आश्रय – गृह मंत्रालय

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देश भर में सरकार ने स्थापित किए 21 हजार से अधिक राहत शिविर

नई दिल्ली. भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 21 हजार से अधिक राहत शिविर स्थापित किए गए हैं. गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर लॉकडाउन में 6 लाख से अधिक लोगों को शिविरों में आश्रय देंगे. नई दिल्ली में मीडिया को ब्रीफिंग करते हुए उन्होंने कहा कि 23 लाख से अधिक लोगों को खाना खिलाने के लिए सुविधा की स्थापना की गई है और ये गरीब, फंसे हुए प्रवासी कामगारों, क्वारेंटिड श्रमिकों और अन्य जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं. सरकार क्लस्टर रोकथाम रणनीतियों का उपयोग कर रही है और वायरस को फैलने से रोकने के लिए कोविड-19 संपर्क ट्रेसिंग कर रही है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों को कोविड-19 महामारी के कारण लागू लॉकडाउन की अवधि के दौरान शहर के भीतर अपने नियमित कार्यस्थल या स्थानीय निवास पर रहने के निर्देश दिए हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि श्रमिकों को उनके नियोक्ता या मकान मालिक द्वारा नहीं निकाला जाएगा. कुछ प्रवासी श्रमिक पहले ही समूहों में चले गए हैं और गंतव्य पर पहुंच गए हैं, उनकी स्वास्थ्य जाँच उन स्थानों पर होंगी, जहां वे वर्तमान में स्थित हैं. बस स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों में प्रवासी श्रमिकों, समूहों के नाम, स्थानीय आवासीय और स्थायी पते और मोबाइल नंबर दर्ज किए जाएंगे. इसके साथ ही जिला स्वास्थ्य प्रशासन एक टीम का गठन करेगा, इसके द्वारा ऐसे सभी व्यक्तियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. कोविड-19 के लक्षण के साथ बुखार से पीड़ित व्यक्तियों को एकांतवास और जांच के लिए नामित कोविड-19 उपचार अस्पताल में भेजा जाएगा.

कोविड-19 लक्षण पाए जाने वाले सभी लोग प्रतिदिन चिकित्सीय जांच से गुजरेंगे. जिसमें लक्षण पाए जाते हैं उन्हें आईसोलेशन और जांच के लिए संबंधित अस्पतालों में भेजा जाएगा. आईसीएमआर के जांच दिशानिर्देशों के अनुसार की जाएगी.

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