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प्रदेश में शिक्षा की बदहाली पर विद्यार्थी परिषद ने शिमला में किया विरोध प्रदर्शन

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शिमला (विसंकें). अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रदेश में शिक्षा की बदहाली के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुए शिमला में रोष रैली का आयोजन किया. रोष रैली में प्रदेशभर से हजारों की संख्या में छात्रों ने भाग लिया. एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील अंबेकर जी ने कहा कि पहले देश में चर्चा होती थी कि भारत आगे नहीं बढ़ रहा. लेकिन अब पूरी दुनिया मानती है कि देश आगे बढ़ रहा है. यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि हर नागरिक ने राष्ट्रहित में सोचना आरंभ किया है. लेकिन कुछ ताकतें देश तोड़ने के काम में लगी हुई हैं, जिनका हर जगह भांडाफोड़ हो रहा है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल का यह छात्र आंदोलन देशभर के युवाओं के लिए प्ररेणा स्रोत है कि कैसे छोटे से प्रदेश में हजारों युवा सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरने का दम रखते हैं. यही हालत रही तो प्रदेश की सरकार को कुर्सी छोड़नी पड़ जाएगी. हिमाचल के लोग बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में पूरी तरह सक्षम हैं, लेकिन प्रदेश सरकार की फीस वृद्धि, रूसा सिस्टम, शिक्षा का निजीकरण, आधारभूत ढांचे का अभाव आदि ऐसी कई परिस्थितियां हैं जो छात्रों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर रही हैं.

राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिंद्रे जी ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि देश में अगर व्यवस्थाओं से खतरा हो तो सरकार बदलने के लिए भी पीछे नहीं हटना चाहिए. वर्तमान में सरकार ने शिक्षा का पूरी तरह से व्यापारीकरण कर दिया है. शिक्षा को धन कमाने का जरिया बनाने से सामाजिक नैतिक मूल्यों में तेजी से गिरावट आ रही है. आज जिस प्रकार की नीतियां बनायी जा रही है, उससे अध्यापकों का भी शोषण हो रहा है. उनकी भर्तियों में नियमों की अनदेखी से शिक्षा के क्षेत्र में दमनकारी नीतियां प्रभावी हो रही है. उनकी लड़ाई सत्ता से नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन से है.

कार्यक्रम में एबीवीपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास जी ने शिक्षा में पुराने पाठ्यक्रमों के स्थान पर नये पाठ्यक्रम बनाने की बात करते हुए कहा कि वर्तमान जो शिक्षा के लिए तय पाठ्यक्रम है, उससे शिक्षा में गुणवता का विकास नहीं हो पा रहा है. उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री नवीन शर्मा जी ने रूसा प्रणाली के कारण छात्रों को हो रही परेशानियों का जिक्र किया. कार्यक्रम में प्रांत संगठन मंत्री कौल नेगी, हिमाचल महामंत्री हेमा ठाकुर, एबीवीपी राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेश ठाकुर, पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री उमेश दत्त, हिमाचल के अध्यक्ष संजय शर्मा, दिल्ली प्रदेश मंत्री अजय ठाकुर, पूर्व प्रदेश मंत्री अजय भेरटा ने भी अपने विचार रखे.

रैली के लिए कांगडा, मण्डी, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा व कुल्लू से आने वाले छात्र घणाहट्टी से तवी मोड़ पर उतर कर सभी छात्र पैदल चौड़ा मैदान पहुंचे. जबकि सोलन, सिरमौर व ऊना से आने वाले छात्र आईएसबीटी क्रासिंग पर आए. रोहडू, रामपुर व किन्नौर से आने वाले छात्र संजौली छोटा शिमला होते हुए आईएसबीटी बाई पास से आईएसबीटी क्रासिंग पहुचे. यहां से छात्र चौड़ा मैदान की ओर पैदल आए और वहां से रैली के रूप में विधानसभा, लोअर बाजार, डीसी ऑफिस से होते हुए आईस स्केटिंग रिंक पहुंचे.

रैली में आने वाले छात्रों के लिए फूड पैकेट की विशेष तौर पर व्यवस्था की गई थी. रैली में छात्रों की संख्या को देखते हुए विद्यार्थी परिषद के 150 कार्यकर्ताओं की यातायात की जिम्मेदारी रही. इसी तरह से भोजन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए 200 कार्यकर्ताओं ने दिन रात काम किया.

शिमला शहर में इन स्थानों से गुजरी छात्र आक्रोश रैली

प्रदेश भर से आए हजारों कार्यकर्ता चौड़ा मैदान स्थित अम्बेडकर मैदान में सुबह ग्यारह बजे एकत्रित हुए. यहां से सभी छात्र रैली के रूप में विधानसभा चौक से होते हुए कार्ट रोड पर आए. कार्ट रोड से विक्ट्री टनल होते हुए सैंट थॉमस स्कूल, शाही सिनेमा से होते हुए फिर कार्ट रोड पहुंचे. इसके बाद छात्र रैली लोकल बस स्टैंड से होते हुए सब्जी मण्डी मैदान से लोअर बाजार से होकर सीटीओ पहुंची. सीटीओ से छात्राओं का हजूम बैंटनी कैसल से होकर स्कैंडल प्वाइंट पहुंचा. यहां से सभी छात्र रैली स्थल आईस स्केटिंग रिंक पहुंचे.

परिषद की मुख्य मांगें – स्नातक स्तर पर रूसा को बंद करना, फीस बढ़ोतरी को वापिस लेना, निजीकरण के नाम पर शिक्षा का व्यापरीकरण बंद हो, छात्रसंघ चुनावों की बहाली, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्वायतता की बहाली, केन्द्रीय विश्वविद्यालय भूमि चयन पर राजनीति बंद हो, महाविद्यायल में आधारभूत ढांचों के सुदृढ़ करना, एसएससी, पीटीए तथा आउट सोर्स की नियुक्तियों पर तुरंत रोक लगे.

निजी बीएड कॉलेजों में अध्यापकों का शोषण बंद हो, रेगुलेटरी कमीशन का अध्यक्ष व सदस्य शिक्षाविद ही बनाया जाए, राजनीतिक आधार पर अध्यापकों के तबादले बंद हों, जेबीटी में टेट आधार पर नियुक्तियां बंद हों और बैज आधार पर भर्ती की जाए, सेनानिवृत्त को पुनः रोजगार न दिया जाए, शिक्षक संस्थानों के आस-पास नशा माफिया से निपटने के लिए व्यापक योजना बनाई जाए, सकल घरेलू उत्पाद का 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च हो, प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक पुराने पठायक्रम को बदला जाए, निजी स्कूलों द्वारा की जा रही व्यापक फीस वृद्वि को रोकने, व नियंत्रण के लिये नियामक संस्था का गठन किया जाए.

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