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बाबा साहेब अंबेडकर के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक हैं – आलोक कुमार 

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इंडिया सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज ने बाबा साहब अंबेडकर के विचारों पर ऑनलाइन परिचर्चा का किया आयोजन

नई दिल्ली (इंविसंके). ‘इंडिया सेंटर फॉर पॉलसी स्टडीज़’ ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर के विचारों पर एक ऑन लाइन परिचर्चा का आयोजन किया. परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार उपस्थित रहे. परिचर्चा में आलोक कुमार ने कहा कि बाबा साहेब के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक हैं. राष्ट्रीय एकता, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिये बाबा साहेब ने जीवन भर काम किया. आज हमें भी बाबा साहेब के रास्ते का अनुसरण करते हुए समाज के निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को मुख्यधारा में लाने का काम करना चाहिए. बाबा साहेब सच्चे अर्थों में लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रहरी थे. बाबा साहेब के विचार तभी सार्थक होंगे, जब हम मिलकर दलितों और पिछड़ों के हक को दिलाने में कामयाब होंगे.

परिचर्चा में लखनऊ, भुवनेश्वर, देहरादून, जयपुर, काशी, त्रिपुरा, पश्चमी बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली और मध्यप्रदेश के अनेक वक्ताओं, प्रोफेसर, वकील, दलित चिंतकों, पत्रकारों, शोधकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मिलित थे. परिचर्चा में रितेश कुमार, आर. एन. खरवार, दिलीप म्हारा, प्रो.पी. डी. सहारे, राहुल सिंह, विनोद दिवाकर, के.पी. सिंह, डॉ. मक्खन लाल, विनोद सिंह, डॉ. रामोतार, अक्षय कुमार, डॉ. विवेक रजक, डॉ. चन्द्रकान्ता, डॉ. आशा, डॉ. नीलेश कुमार, डॉ. संजीव, डॉ. ऋषि कुमार तिवारी, डॉ. विनय कुमार, डॉ. गीता सहारे, डॉ. रुक्मणि, डॉ. सुनील कोशिक और डॉ. प्रवेश कुमार ने भी सहभागिता की. परिचर्चा का संचालन आई.सी.पी.एस के संयोजक देवराज सिंह ने किया.

सेंटर ऑफ बिजनस ऑफ न्यू भारत ने भी 11 राज्यों के वक्ताओं के साथ एक ऑनलाइन गोष्ठी आयोजित की. इसमें प्रोफेसर चंद्रकांता माथुर ने कहा कि बाबा साहेब वास्तविक भारतीय समाज के शिल्पकार है. उन्होंने डॉ. आम्बेडकर के राष्ट्रवाद पर कई उल्लेखनीय तथ्य सभी के सामने रखे. गोष्ठी में आम्बेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शशिकान्त पांडेय ने भी अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्यों को सभी के सामने रखा. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब बीता हुआ कल नहीं है, बल्कि वह आने वाले भारत की नई आधारशिला है.

कार्यक्रम में महाधिवक्ता विनोद दिवाकर ने  डॉ. आम्बेडकर के विचारों दर्शन पर कहा कि बाबा साहेब ने जिस राष्ट्र की कल्पना की थी, वह अब आकार ले रहा हैं.

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