मकर संक्रांति उत्सव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मैदान में स्वयंसेवकों को संबोधित किया. उन्होंने संघ के कार्यों और संघ की पद्धति के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि संघ की शाखा मैदान में चलती है, संघ में हाजिरी के लिए कोई रजिस्टर नहीं होता है. व्यक्ति अपनी मर्जी से शाखा में आता है.
सामाजिक समरसता के महत्व पर कहा कि समय बदलता रहता है एवं प्रकृति भी राष्ट्रहित में अपना स्वभाव बदलती है. हमें भी गरीबों के हित में बदलना चाहिए. संघ के अंदर पीढ़ियां बदलती रहती हैं. इसलिए स्वयंसेवकों को समय के संदर्भ में अपने कार्य का क्या स्थान है यह समझना जरूरी है. शाखा व्यक्ति निर्माण का काम है, संघ कार्य के लिए सभी स्वयंसेवकों को पहले से और अधिक समय देने की आवश्यकता है .उन्होंने समन्वय स्थापित कर व्यवहारिक रूप से एक दूसरे के सुख-दुख में भागीदार बनने का आह्वान किया. उन्होंने कहा “हम भी सही हैं और तुम भी सही हो का भाव रहे”.
सरसंघचालक ने कहा कि हम सभी के मन में अपने देश को परम वैभव पर पहुंचाने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए. परम वैभव पर पहुंचाने के लिए हमें स्वतंत्रता के साथ समझौता नहीं करना है. हमें अपने देश की सर्वांगीण उन्नति करनी है. उन्होंने इजराइल के लोगों का उदाहरण देते हुए कहा कि इजराइल के लोगों को स्वतंत्रता से पहले प्रस्ताव दिया गया कि वह अफ्रीका में कहीं भी बदले में चार गुनी जगह ले लें और इजराइल को छोड़ दें, लेकिन इजराइल के लोगों ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि हमारी मिट्टी, हमारी संस्कृति इस देश में बसी है, इसलिए हमें इसे नहीं छोड़ सकते.
संघ का काम समाज में ऊंच-नीच, छुआछूत ख़त्म करना, हिन्दू समाज को एक करना, अपने देश की उन्नति करना है. भारत का धर्म बड़ा विशेष है, भारत का धर्म अध्यात्म आधारित है, धर्म दिखने में अलग-अलग है, लेकिन सब एक हैं. हमें एकता को अपनाना है, हम सबको अपनी संस्कृति माननी है, समस्त भारत वर्ष हिन्दू है.
संघ क्या कहता है, क्या बोलता है, संघ के स्वयंसेवक क्या-क्या करते हैं, इसकी समीक्षा करने के पहले इसको अनुभव से समझना पड़ेगा. तभी संघ को ठीक प्रकार से जाना जा सकता है. मोहन भागवत जी ने आह्वान किया, “समाज के बंधु संघ के अंदर आकर देखें, संघ के कार्यक्रमों, शिविर में आएं एवं स्वयंसेवकों के साथ रहें एवं उनके परिवारों को देखें, तभी संघ के विचार एवं आचरण का अनुभव आपको प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा और संघ की सही समझ तब प्रकट होगी.
उन्होंने कहा किसी भी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति से नहीं, बल्कि हिन्दू से होनी चाहिए. इसकी शुरुआत अपने घर और कार्यक्षेत्र से करें. घर में काम करने वाली बाई हो या ड्राइवर, सफाई कर्मचारी या कपड़े धोने वाला. उसे सहजता से हिन्दुत्व की विचारधारा से जोड़ें. मलिन बस्तियों में जाकर उनका दर्द समझें और घुल-मिल जाएं. उनके साथ भोजन करें. उन्हें हिन्दू होने पर गर्व करवाएं. देश में हजारों अरबपति लोग हैं, लेकिन यदि देश का एक व्यक्ति भी भूखा सोता है तो देश भूखा कहलाएगा. सभी शाखा के लिए रोज समय दें. पढ़ाई पूरी करने के बाद, पारिवारिक दायित्व पूरे करने के बाद अधिक समय दें. संघ के पदाधिकारी पहले से ज्यादा समय दें.
कार्यक्रम में क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश जी टोंक, क्षेत्र प्रचारक आलोक कुमार, प्रांत प्रचारक धनीराम, सह प्रान्त प्रचारक अनिल कुमार, सहित अन्य उपस्थित रहे.