अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता की गंभीर अवहेलना करने के मामले में विशेष चिंता वाले देशों की श्रेणी में चीन, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, क्यूबा, इरीट्रिया, ईरान, निकारागुआ, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और म्यांमार को शामिल किया है. साथ ही अल-शबाब, बोको-हरम, हयात तहरीर अल-शाम, हूती, आईएसआईएस-साहेल, आईएसआईएस-पश्चिम अफ्रीका, अलकायदा के सहयोगी जमात नस्र अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन और तालिबान को विशेष चिंता वाले समूह के रूप मेंचिन्हित किया है. इन्हें धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बताया है. अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यह जानकारी प्रदान की.
ब्लिंकन ने कहा कि कांग्रेस द्वारा 1998 में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम को पारित करने और प्रभावी बनाने के बाद धार्मिक स्वतंत्रता को आगे बढाना अमरीकी विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य रहा है. इसके अलावा धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के मामले में विशेष निगरानी सूची में अल्जीरिया, अजरबैजान, मध्य अफ्रीकी गणतंत्र, कोमोरॉस और वियतनाम आदि देशों को श्रेणीबद्ध किया है.
अमेरिका ने कहा कि चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है. यह बड़ी चिंता की बात है. धार्मिक स्वतंत्रता का दमन करने वाले देशों के नामों की सूची जारी करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, अमेरिका की विदेश नीति में धार्मिक स्वतंत्रता अहम मुद्दा है. अन्य देशों से संबंधों के विकास में अमेरिका इस मानदंड को बड़ा महत्व देता है.
अमेरिकी संसद ने साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम बनाकर वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया था. बीते वर्ष (2023) के अनुभवों के आधार पर तैयार सूची को सार्वजनिक की.
इन देशों में अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार नहीं मिलते, साथ ही उनके साथ कई तरह से भेदभाव और अन्याय होता है.
ब्लिंकन ने कहा, धार्मिक स्वतंत्रता एक वैश्विक मुद्दा है. इसके अंतर्गत होने वाले भेदभाव और अन्याय को सतत और व्यवस्थित प्रक्रिया से दूर किया जा सकता है.