करंट टॉपिक्स

प्रतिष्ठा द्वादशी – भारत के उत्थान की प्रेरणा श्री राम जन्मभूमि मंदिर

हितानंद शर्मा अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय वह अभिजीत मुहूर्त, जब प्राण-प्रतिष्ठा कर रामलला के नेत्रों से पट्टि‍का हटाई गई, तब पूरे विश्व में सनातन संस्कृति...

प्रतिष्ठा द्वादशी – आओ घर-घर दीप जलाएं…

लोकेन्द्र सिंह एक वर्ष पूर्व पौष शुक्ल द्वादशी (22 जनवरी, 2024) को भारतवासियों ने त्रेतायुग के बाद पुनः अपने आराध्य भगवान श्रीराम के स्वागत में...

डॉ. आंबेडकर के विचारों को तिलांजलि देकर भारत-विरोधी शक्तियों की कठपुतली बने स्वयंभू अंबेडकरवादी!

बलबीर पुंज भारतीय राजनीति में कांग्रेस के घटते प्रभाव और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर (1891-1956) की बढ़ती लोकप्रियता के बीच क्या कोई संबंध...

सही मायनों में 1975-77 में देश का संविधान खतरे में था!

भारतीय संविधान को खतरा किससे ? बलबीर पुंज संसद में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा हुई. इस दौरान नेता विपक्ष ने हिन्दू समाज को...

ग्राहक का सशक्तिकरण ही “ग्राहक संप्रभुता” का मार्ग

२४ दिसंबर ग्राहक दिवस - “ग्राहक” तुम ही राजा हो दिनकर सबनीस भारतीय चिंतन के दृष्टिकोण से अर्थव्यवस्था के केंद्र बिंदु "ग्राहक की संप्रभुता" पर...

राष्ट्र चेतना की हुंकार – जनजातीय गौरव दिवस

प्रशांत पोळ आज बड़ा सुखद संयोग बन रहा है कि गुरु नानक देव जी की ५५५वीं जयंती, प्रकाश पर्व, के दिन ही, राष्ट्रीय जनचेतना के...

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन का विवेचनात्मक अध्ययन स्थापित मिथकों को ध्वस्त करता है

बलबीर पुंज हिन्दू मान्यता के अनुसार, जिस समय माता लक्ष्मी जी का प्राकट्य हुआ था, उसी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भी अयोध्या लौटे थे....

‘डीप स्टेट’, ‘वोकिज्म’, ‘सांस्कृतिक मार्क्सवाद’ का जवाब देने हेतु सतर्क, मजबूत, चैतन्य होने की आवश्यकता

वर्ष 2015 में एक शब्द चर्चा में आया था ‘सहिष्णुता’, उस समय मोदी सरकार को सत्ता संभाले एक-डेढ़ वर्ष ही हुआ था. तब एक अवार्ड...

एकात्म मानव दर्शन – दीनदयाल जी ने चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक स्वरूप दिया

भाग दो "धर्म" चतुर्पुरुषार्थ में सबसे पहला है. इसके अंतर्गत शिक्षा-संस्कार, जीवन संकल्प समन्वय एवं विधि व्यवस्था आती है. दूसरा पुरुषार्थ "अर्थ" है, इसमें साधन...

एकात्म मानव दर्शन – दीनदयाल जी ने चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक स्वरूप दिया

भाग एक विश्व की आधुनिक शासन प्रणालियों में बहुत से सिद्धांत सामने आए. इन सिद्धातों को सूत्र रूप प्रस्तुत करने के लिये कुछ शब्द भी...