उदयपुर, 30 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय धर्मजागरण प्रमुख शरद गजानन ढोले ने वर्ष प्रतिपदा उत्सव पर संघ की यात्रा और हिन्दू समाज के उत्थान के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि संघ की 100 वर्षों की यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित है और इस अद्वितीय संगठन का हर कार्य राष्ट्र पुनर्निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम है।
उन्होंने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (नव विक्रमी संवत् 2082) पर रविवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के मैदान में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उत्सव की अध्यक्षता देसी जड़ी बूटी की गुणीजन लिमडी बाई मीणा ने की। शरद ढोले ने कहा कि संघ का लक्ष्य भारत को आर्थिक रूप से भी पूर्ण स्वतंत्र बनाना है। देश को आत्मनिर्भर और स्वदेशी भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है। इसके लिए संघ गांव-गांव तक संपर्क स्थापित कर जनजागरण कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इस विजयादशमी पर संघ अपने 100 वर्ष पूर्ण कर लेगा। डॉ. हेडगेवार जी द्वारा बोया गया बीज आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है, जिसकी छाया में राष्ट्रहित और समाज सेवा की भावना निरंतर पुष्पित और पल्लवित हो रही है। डॉ. हेडगेवार को यह भली-भांति आभास हो गया था कि कोई बाहरी शक्ति समाज को स्वतंत्र नहीं करा सकती, यह कार्य स्वयं समाज को ही करना होगा। इसी विचार से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई। आज संघ के स्वयंसेवक हर क्षेत्र में सेवा और समर्पण का परिचय दे रहे हैं। विजयादशमी उत्सव को शाखा स्तर तक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह संपूर्ण विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका है। कुम्भ मेले में जब विश्व के अन्य देशों से राजनेता, प्रतिनिधिमंडल स्नान के लिए आते हैं, तो यह प्रमाणित होता है कि हिन्दू संस्कृति की महत्ता वैश्विक स्तर पर स्वीकार की जा रही है।
उन्होंने कहा कि भारत मूल रूप से हिन्दू राष्ट्र है और यह विचार संघ की प्रेरणा शक्ति रही है। जैसे-जैसे हिन्दू समाज संगठित होता है, वैसे-वैसे उसकी आस्था और शक्ति भी बढ़ती है और तभी राष्ट्र हर दृष्टि से सशक्त होता है। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसने हिन्दू समाज की शक्ति और उसके दृढ़ संकल्प को सिद्ध किया।
डॉ. हेडगेवार जी का मुख्य लक्ष्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना था। इसी उद्देश्य से उन्होंने शाखा प्रारंभ की, जहां व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है। संघ का प्रयास है कि समाज में चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ और संस्कारित व्यक्तियों का निर्माण हो, जो राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दें।
उन्होंने कहा कि संघ समाज के उपेक्षित वर्गों की स्थिति सुधारने का कार्य भी निरंतर कर रहा है। आज भी देश में 1.5 से 2 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके पास आधारभूत सुविधाओं की कमी है, इनमें घुमंतू समाज भी शामिल है। स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इनके पुनर्वास के लिए कार्य आरंभ किया है, जिससे वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
उन्होंने कहा कि संघ को किसी पारंपरिक मापदंड से नहीं आंका जा सकता, क्योंकि यह केवल संगठन नहीं, बल्कि एक विचार है, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है। संघ का उद्देश्य स्वयंसेवक निर्माण के साथ समाज में सज्जन शक्ति को बढ़ावा देना भी है। संघ की प्रेरणा से कई संगठन और व्यक्तित्व समाज सेवा में जुटे हुए हैं।
वह दिन दूर नहीं, जब भारत अपनी संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक शक्ति के बल पर पुनः विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
लिमड़ी बाई मीणा (देसी जड़ी बूटी की गुणीजन) ने मेवाड़ी भाषा में उद्बोधन दिया। उन्होंने भावुक होकर कहा कि पहली बार मुझे इतने बड़े मंच पर स्थान दिया है, संघ के कार्य को ईश्वरीय कार्य बताते हुए रामलला की जय एवं भारत माता की जय कहते हुए सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार “डॉक्टर जी” एवं माधव सदाशिवराव गोलवलकर “गुरुजी” के चित्रों पर पुष्पार्चन से हुआ। अतिथियों के साथ विभाग संघचालक हेमेंद्र श्रीमाली, महानगर संघचालक गोविंद अग्रवाल उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आरंभ आद्य सरसंघचालक प्रणाम से हुआ। कार्यक्रम स्थल पर संविधान के चित्रों, अहिल्यादेवी होलकर की जीवनी एवं जनजातीय नायकों के जीवन पर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।