काशी (विसंकें). दिल्ली की सीमा पर आंदोलनरत किसानों को भड़काने के आरोप लग रहे हैं. शाहीन बाग 2 बनाने की तैयारी हो रही है. खालिस्तानी नारे लग रहे हैं, प्रदर्शनकारियों की बातें सुन व पत्थरबाजी को देख लग नहीं रहा कि यह किसान आंदोलन है.
इस बीच काशी में देव दीपावली के आयोजन अवसर पर प्रधानमंत्री ने किसानों को अन्नदाता बताते हुए नमन किया. उन्होंने कहा कि दशकों तक किसानों के साथ छल हुआ है और अब ऐसा करने वाले ही देश के अन्नदाताओं में भ्रम फैला रहे हैं. कृषि कानून पर किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है. जिन्होंने किसानों के साथ छल किया है, वे ही अब किसानों में भ्रम फैला रहे हैं. नए कानून किसानों को विकल्प देने वाला है. अगर कोई पुराने सिस्टम से लेनदेन को उचित समझता है तो इस कानून में कोई रोक नहीं लगाई है. नए कृषि सुधारों से नए विकल्प और किसानों कानूनी संरक्षण दिए गए हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ो रुपये खर्च कर रही है. MSP पर किसानों की उपज बेची जा रही है. यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर सवाल उठाते थे. ये लोग अफवाह फैलाते थे. एक राज्य ने किसान सम्मान योजना को अपने राज्य में लागू ही नहीं होने दिया.
लेकिन आजकल ट्रेंड अलग
पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है. पहले अगर सरकार का कोई फैसला पसंद नहीं आता था तो विरोध होता था. पर, अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम फैलाया जाता है. ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया था. पहले MSP तो था, लेकिन उस पर खरीद नहीं होती थी. वर्षों तक MSP को लेकर छल किया गया.
पहले की सरकारों ने किसानों के नाम पर छल किया है. योजनाओं के नाम पर छल, किसानों के नाम पर छल, खाद पर छल. फर्टिलाइजर खेत से ज्यादा कालाबाजारियों के पास पहुंच जाता था. पहले वोट के लिए वादा और फिर छल. यही लंबे समय तक देश में चलता रहा है. जब इतिहास छल का रहा हो तब दो बातें काफी स्वाभाविक है, पहली ये किसान अगर सरकार की बातों से आशंकित रहता है तो इसके पीछे दशकों तक का लंबा छल का इतिहास है. जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया उनके लिए ये झूठ फैलाना एक तरह से आदत और मजबूरी बन गई है. क्योंकि उन्होंने ऐसा ही किया था. इसलिए वही फार्मूला लगाकर यही देख रहे हैं.
अब छल नहीं
आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है. जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं तो वे दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लग जाते हैं. 24X7 इनका यही काम है. जिन किसान परिवारों को कोई चिंताएं हैं तो उनका जवाब देने का काम भी सरकार कर रही है. हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की आगुवाई करेगा. आज जिन किसानों पर कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं वो भी भविष्य में इन सुधारों का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ाएंगे, मेरा ये पक्का विश्वास है.
किसान को आधुनिक सुविधाएं देना, छोटे किसानों को संगठित करके उन्हें ताकतवर बनाना और किसानों को मजबूत करने का प्रयास जारी है. फसल बीमा हो या सिंचाई, बीज हो या बाजार हर स्तर पर काम किया गया है. किसान हित में किए गए कृषि सुधार ऐसे ही विकल्प किसान को देते हैं. अगर किसान को कोई ऐसा ही खरीदार मिल जाए जो सीधा खेत से फसल उठाए तो क्या किसान को अपनी उपज उसे बेचने की आजादी मिलनी चाहिए कि नहीं.