नई दिल्ली. भारत में दंगा व अशांति फैलाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया के उपयोग पर अंकुश लगाने को लेकर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. जिसके तहत केंद्र सरकार ने 1178 अकाउंट्स की एक सूची ट्विटर को सौंपी है तथा उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. इन अकाउंट्स से सुनोजित ढंग से एक एजेंडा को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है.
टूल किट और विभिन्न रिपोर्ट्स से सामने आया है कि किसान आंदोलन की आड़ में देश में अशांति फैलाने के लिए लगातार सोशल मीडिया को हथियार बनाया जा रहा है, और सुनियोजित ढंग से एजेंडा चलाया जा रहा है. इनमें सैकड़ों ट्वीट पाकिस्तान व खालिस्तान समर्थक हैंडल से किए जा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि ऐसे ट्वीट को ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी द्वारा भी लाइक किया जा रहा है.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत की एकता एवं अखंडता के लिए खतरा बताते हुए इन अकाउंट की सूची चार फरवरी को ही ट्विटर को सौंप दी थी. लेकिन ट्विटर की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इससे पहले 31 जनवरी को भी सरकार ने ट्विटर से 257 लिंक को ब्लॉक करने के लिए कहा था, लेकिन उस संबंध में भी ट्विटर की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई. ये 257 लिंक फार्मर्स जेनोसाइड (किसानों का नरसंहार) हैशटैग से होने वाले ट्वीट से जुड़े हैं जो भारत में किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा भड़काने के उद्देश्य से किए जा रहे थे. ट्विटर की तरफ से कार्रवाई करने की जगह इन्हें अभिव्यक्ति की आजादी बताया गया.
एक फरवरी को मंत्रालय की कमेटी के सामने ट्विटर के वकील की पेशी से ठीक पहले इन 257 लिंक को कुछ मिनट के लिए ब्लॉक किया गया था. ट्विटर के इस रवैये को देखते हुए सरकार सख्ती करने के मूड में है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ट्विटर को अगर सरकार का यह निर्देश मुनासिब नहीं लग रहा है तो कंपनी अदालत में सरकार के निर्देश को चुनौती दे सकती है. लेकिन ट्विटर की तरफ से अब तक सरकार के निर्देश को देश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी गई है. ट्विटर को यह बता दिया गया है कि सरकार ने आइटी एक्ट के सेक्शन 69ए के तहत यह निर्देश दिया है क्योंकि ये ट्वीट आंदोलन को लेकर गलत सूचना का प्रसार कर रहे हैं, जिससे हिंसा भड़कने के साथ देश की कानून व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका हैं. इस एक्ट में जुर्माने के साथ ही सख्त कार्रवाई का प्रावधान है.