नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिकता के विषय पर चल रही सुनवाई को लेकर हिन्दू धर्म आचार्य सभा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा है. पत्र के माध्यम से जनभावनाओं, भारतीय परंपरा से अवगत करवाया गया है.
हिन्दू धर्म आचार्य सभा के अध्यक्ष स्वामी आचार्य अवधेशानंदगिरी जी महाराज ने कहा कि भारत केवल 146 करोड़ जनसंख्या का देश नहीं है, अपितु यह प्राचीन वैदिक सनातन धर्म-संस्कृति, परंपरा और आद्य मानवीय संवेदनाओं की धरोहर है, जहाँ विवाह एक अत्यन्त पवित्र कल्याणकारी संस्कार है; जो स्त्री पुरुष को वंश वृद्धि, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्वों के भीतर एकीकृत करता है. अत: समलैंगिकता का वैधीकरण विवाह भारत जैसे देश में भीषण विसंगतियों का कारण बनकर भारत राष्ट्र की दिव्य वैदिक मान्यताओं, सांस्कृतिक प्रथाओं और सामाजिक विकास की विविध साधन पद्धतियों को ध्वस्त कर मानवीय अस्तित्त्व के लिए अनिष्टकारक सिद्ध होगा. भारत के शीर्षस्थ धर्माचार्य सन्त सत्पुरुष इस प्रकार के अप्राकृतिक अस्वाभाविक विचार से स्तब्ध हैं! इस प्रकार के अनुचित और अनैतिक प्रयोग भारत में सर्वथा अस्वीकार्य रहे हैं.