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प्रभु श्रीराम तो सबके हैं – अमरनाथ जी महाराज

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जिन लोगों ने अज्ञानता वश धर्म कार्य में बाधा बनने का प्रयत्न किया, या जान-बूझकर प्रभु राम के नाम को कोसा है, राम तो उनके भी हैं. हमारा धर्म ये भी है कि, ऐसे लोगों को क्षमा करते हुए इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के स्वरुप से अवगत कराएं.

जयपुर.

श्री हनुमान चालीसा प्रबंध समिति के संरक्षक एवं अध्यक्ष अमरनाथ जी महाराज से बातचीत के अंश…..

‘कौन कहता है कि राम किसी एक के हैं…?’ भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम किसी विशेष व्यक्ति, समुदाय संप्रदाय या किसी पंक्ति के नहीं हैं, वे तो उस हर एक व्यक्ति के हैं, जो धर्म एवं सत्य के मार्ग चल रहा है और मर्यादा में रहता है.

श्री हनुमान चालीसा प्रबंध समिति के संरक्षक एवं अध्यक्ष अमरनाथ जी महाराज ने विश्व संवाद केंद्र से बातचीत में कहा कि 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा और करोड़ों लोगों की कठिन तपस्या के बाद आराध्य देव भगवान श्री राम का भव्य मंदिर लगभग बनकर तैयार है. इस कार्य के पूर्ण होने में जिन लोगों ने योगदान दिया है, उनके तो राम हैं ही. किंतु जिन लोगों ने अज्ञानता वश धर्म कार्य में बाधा बनने का प्रयत्न किया, या जान-बूझकर प्रभु राम के नाम को कोसा है, राम तो उनके भी हैं. हमारा धर्म ये भी है कि, ऐसे लोगों को क्षमा करते हुए इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के स्वरुप से अवगत कराएं.

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस कलयुग में भी प्रत्येक मानव को श्रीराम के मार्ग पर चलने का संदेश देने का अवसर आज हम सबको मिल रहा है. ये ‘रामराज’ नहीं तो और क्या है. हर सनातनी जो भगवान राम में अपनी आस्था रखता है, उसे भी अब यह धैर्य रखना होगा कि जिन लोगों ने राम को नकारा है वो उनकी अज्ञानता थी. हमें किसी से भेदभाव नहीं रखना है. हमें राम के आदर्शों को प्रत्येक मानव तक पहुंचाने का कार्य करना है और भगवान श्री राम के मंदिर को प्रतीक बनाना है सनातन का, और भारत में रहने वाले उन सभी भारतीयों का, जो अपने आप को भारतीय मानते हैं.

चारों तरफ नजरें दौड़ाकर देखिये, आज देश का वातावरण ‘राम नाम’ से ही कितना सकारात्मक हो चला है. आज हर हिन्दू प्रसन्न है कि उनके आराध्य देव भगवान श्री राम का भव्य मंदिर अयोध्या धाम में बनकर तैयार है.

22 जनवरी को जब रामलला अपने महल में विराजमान होंगे तो इस कार्य में हमारा दायित्व और बढ़ जाता है. हमें खुशियां मनानी हैं, लेकिन हमें हमारी मर्यादाओं का ध्यान भी रखना है. ताकि हम न केवल भारत में रहने वालों को, बल्कि संपूर्ण दुनिया में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को यह संदेश दे सकें कि भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और उनको मानने वाले भी अपनी मर्यादा में रहते हैं.

अमरनाथ जी महाराज ने आह्वान किया कि इस नए युग की शुरुआत में अपनी भावनाओं को व्यक्त तो करना ही है, लेकिन उन भावनाओं को शुद्ध भी रखना है ताकि हमारे प्रभु श्रीराम पर कोई उंगली नहीं उठा सके. यह संदेश पूरी दुनिया को देना है.

जय श्रीराम.

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