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राष्ट्र सेवा का उत्तम उदाहरण थे स्व. मदन दास जी – भय्याजी जोशी

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पुणे. स्व. मदन दास देवी जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि आचरण की शुद्धता, विचारों में स्पष्टता और ध्येय निष्ठता, ये तीन बातें स्व. मदनदास देवी जी के जीवन की त्रिसूत्री थी. ‘स्व’ को भूलना आसान नहीं, परंतु मदनदास जी ने तो संगठन के लिए खुद को भूलकर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. राष्ट्र, समाज और देश सेवा के प्रति कितनी हद तक जाना चाहिए, इसका बड़ा उदाहरण थे मदन दास जी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पुणे महानगर और बृहन्महाराष्ट्र वाणिज्य महाविद्यालय द्वारा स्व. मदन दास जी की पावन स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था. भय्याजी जोशी सभा में श्रद्धांजलि अर्पित की.

उन्होंने कहा कि मदन दास जी भले ही शरीर से यहाँ ना हों, फिर भी कार्यकर्ता के रूप में वो हमारे बीच ही हैं. उनकी ही कार्यशैली को अपनाकर उनका कार्य आगे जाता रहेगा. कार्यकर्ताओं को जिस तरह से मदन दास जी ने अपने हाथों से तराशा है, उसे देखकर हम कह सकते हैं कि वो कार्यकर्ता निर्माण का एक चलता फिरता “मुक्त विश्वविद्यालय” थे. कार्यकर्ता बनाने के लिए जो-जो करना जरुरी होता है, उन सभी विभागों के वे प्रमुख थे. मदन दास जी ने बहुत ही अर्थपूर्ण जीवन बिताया. संगठन का कार्य करते समय अथवा समाज जीवन में भी क्या ‘नहीं होना चाहिए’, ये कहने वाले बहुत लोग मिलेंगे; परंतु मदन दास जी हमेशा, क्या होना जरूरी है, इसके बारे में कहते थे. देश और समाज की स्थिति, संगठन के कार्य की स्थिति को लेकर हमेशा ही समीक्षात्मक चर्चा करते रहे. किसी भी व्यक्ति की परख करने की उनकी अद्भुत क्षमता थी. और हर एक की क्षमतानुसार उस व्यक्ति का उपयोग कार्य के लिए करते थे.

अनिरुद्ध देशपांडे जी ने कहा कि विद्यार्थी परिषद के अभ्यास वर्ग और अधिवेशन का समापनसंगठन मंत्री के नाते मदन दास जी करते थे. उस वक्त वो जो भाषण देते थे, उसका हर एक शब्द हृदय में गहराई से बस जाता था. अहंकार से परे आदर्श व्यक्तित्त्व का सच्चा उदाहरण थे. ‘मेरा कुछ भी नहीं’ यह महनीय संस्कार मदन दास जी में देखने को मिलता था. जीवन में सबसे अधिक महत्त्व और प्राथमिकता सामाज कार्य को देनी चाहिए, यही सोच और जीवन दृष्टी कार्यकर्ताओं को दी.

चंद्रकांतदादा पाटील ने कहा कि जो भी व्यक्ति संपर्क में आए उसे अपने साथ व्यक्तिगत रूप से जोड़ने के बजाय विचारों के साथ जोड़ना चाहिए, इस भावना से मदन दास जी अपना कार्य करते थे. उनके हर एक शब्द में जीवन व्यवहार की सीख मिलती थी.

विश्व हिन्दू परिषद प. महाराष्ट्र प्रांत कोषाध्यक्ष महेंद्र देवी, भारतीय मजदूर संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य चंद्रकांत धुमाळ, दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र की सचिव डॉ. अंजली देशपांडे, सहित अन्य ने श्रद्धासुमन अर्पित किये. प्रा. आनंद काटीकर जी ने मंच संचालन किया.

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