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21 अक्तूबर – सिंगापुर में आजाद हिन्द सरकार का गठन; जापान, जर्मनी, इटली, कोरिया, फिलीपीन्स सहित अन्य देशों ने दी थी मान्यता

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देश स्वतत्रंता की 75वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मना रहा है. अमृत महोत्सव में आज़ाद हिंद सरकार के स्थापना दिवस के अवसर पर इतिहास के पन्नों में गुमनाम आज़ाद हिंद फौज के रणबांकुरों का स्मरण किया जाए, जिनके संघर्ष के कारण देश में अंग्रेजों की जड़ें हिल गईं….

आज का दिन ऐतिहासिक महत्व का है. नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1943 में आज के ही दिन आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में आजाद हिन्द सरकार का गठन किया था. उस दिन भारतीय स्वतंत्रता लीग के प्रतिनिधि सिंगापुर के कैथे सिनेमा हॉल में स्वतंत्र भारत की सरकार की स्थापना की ऐतिहासिक घोषणा सुनने के लिए एकत्रित हुए थे. हॉल पूरा भरा था. खड़े होने के लिए इंच भर भी जगह नहीं थी.

घड़ी में जैसे ही शाम के 04 बजे. मंच पर नेताजी एक विशेष घोषणा करने के लिए खड़े हुए.

घोषणा में कहा गया था, “इस सरकार का काम होगा कि वो भारत से अंग्रेजों और उनके मित्रों को निष्कासित करे. सरकार का ये भी काम होगा कि वो भारतीयों की इच्छा के अनुसार और उनके विश्वास की आजाद हिन्द की स्थायी सरकार का निर्माण करे.”

इस सरकार में नेता जी सुभाष चंद्र बोस प्रधानमंत्री बने, उनके पास युद्ध और विदेश मंत्री का दायित्व भी था. इसके अलावा सरकार में तीन अन्य मंत्री थे. साथ ही, एक 16 सदस्यीय मंत्रि स्तरीय समिति की भी घोषणा की गई थी. अस्थायी सरकार की घोषणा करने के बाद भारत के प्रति निष्ठा की शपथ ली गई.

आजाद हिन्द सरकार

सुभाष चंद्र बोस –प्रधानमंत्री, युद्ध और विदेश मंत्री

कैप्टेन लक्ष्मी – महिला संगठन

एसए अय्यर – प्रचार और प्रसारण

लै. कर्नल एसी चटर्जी – वित्त

समिति – लै. कर्नल अजीज अहमद, लै, कर्नल एनएस भगत, लै. कर्नल जेके भोंसले, लै. कर्नल गुलजार सिंह, लै. कर्नल एम जैड कियानी, लै. कर्नल एडी लोगनादन, लै. कर्नल एहसान कादिर, लै. कर्नल शाहनवाज (सशस्त्र सेना के प्रतिनिधि), एएम सहायक सचिव, रासबिहारी बोस (उच्चतम परामर्शदाता), करीम गनी, देवनाथ दास, डीएम खान, ए, यलप्पा, जे थीवी, सरकार इशर सिंह (परामर्शदाता), एएन सरकार (कानूनी सलाहकार)

आजाद हिन्द सरकार को जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, इटली, मांचुको और आयरलैंड सहित कुछ अन्य देशों ने मान्यता भी प्रदान कर दी थी. जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप इस सरकार को दे दिए. नेताजी ने दोनों द्वीपों का नामकरण किया, अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप और निकोबार का नाम स्वराज्य द्वीप रखा गया. 30 दिसंबर, 1943 को इन द्वीपों पर आजाद भारत का झंडा भी फहराया गया था.

इस सरकार के गठन में महिलाओं ने अपने गहने तक दान कर दिए थे. अप्रैल 1944 तक ‘आजाद हिंद बैंक’ की भी स्थापना हो गई थी. सरकार का अपना बैंक, अपनी मुद्रा, डाक टिकट, गुप्तचर विभाग और दूसरे देशों में दूतावास भी थे.

बैंक की ओर से दस रुपये के सिक्के से लेकर एक लाख रुपये के नोट तक जारी किए गए थे. पांच हजार का एक नोट बीएचयू के भारत कला भवन में भी सुरक्षित रखा है.

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