रामकाज करिबे को आतुर, विद्यावान गुनी अति चातुर
हनुमान चालीसा की यह विशेष चौपाई अयोध्या में चहुंओर दिख रही है. बात तन की हो, मन की हो, या हो धन की, राम काज सर्वोपरि है. मजदूर से महाजन तक, संत से महंत तक, लोक से तंत्र तक, सब राम काज में लीन हैं. सभी नव्य राम मंदिर को दिव्य और भव्य बनाने में लगे हैं. उनकी लगन मंदिर के निर्माण को तेजी से उस वैभव की ओर ले जा रही है जो रामलला के विराजमान से परम वैभव को प्राप्त होगी. फिर त्रेता कलयुग पर गर्व करेगा. कलयुग त्रेता सा गर्वान्वित होगा. होगा भी क्यों नहीं, कलयुग को त्रेता का वैभव जो मिल रहा है. धर्म में लगा कर्म तेजी से मोक्ष की ओर जो बढ़ रहा है. बढ़े भी क्यों नहीं, राम जो आ रहे हैं. वही राम जो अयोध्या के प्रिय हैं. वही राम जिन्हें अयोध्या प्रिय है. सो, यहां का कण कण क्षण क्षण बोल रहा है – राम काजु किन्हें बिन मोही कहां विश्राम…. तो आइए हम भी देखते हैं, समझते हैं, मंदिर की दिव्यता और भव्यता को….
पूरबमुखी मंदिर
राममंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है. अर्थात यह मंदिर पूरबमुखी है. कुल तीन तल हैं. हर तल की ऊंचाई 20 फीट होगी. पांच गुंबद यानी मंडप होंगे.
राममंदिर निर्माण में लगभग 3500 कारीगर व मजदूर अर्थात 7000 हाथ लगाए गए हैं. ये राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, हैदराबाद राज्यों के हैं. निर्माण का काम रात में भी होता है. दो शिफ्ट में आठ-आठ घंटे मजदूरों की ड्यूटी लगाई जाती है. हैदराबाद के कारीगर रामसेवकपुरम में राममंदिर के दरवाजों का निर्माण कर रहे हैं.
राममंदिर निर्माण में देश के कई नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली जा रही है. आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वीएस राजू के अलावा आईआईटी सूरत व गुवाहाटी के निदेशकों के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के विशेषज्ञों सहित एलएंडटी और टाटा कंसल्टिंग के इंजीनियर मंदिर निर्माण में लगे हैं. सीबीआरआई हैदराबाद व आईआईटी मुंबई की टीम का भी योगदान है. अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था इसरो राम के मस्तक पर सूर्य की पहली किरण से तिलक कराने में मदद कर रही है.
सागौन को मिला सौभाग्य
राममंदिर की खिड़कियां, चौखट, दरवाजे महाराष्ट्र के चंद्रपुर की सागौन की लकड़ी से बन रहे हैं. राममंदिर में कुल 42 दरवाजे लगाए जा रहे हैं. ये सभी दरवाजे सागौन की लकड़ी से बन रहे हैं. विशेषज्ञों की राय पर इस लकड़ी का चयन किया गया है.
मंदिर निर्माण मुख्य रूप से राजस्थान के मिर्जापुर और बंसीपहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर और नक्काशीदार संगमरमर से हो रहा है. गुलाबी पत्थरों की चमक सैकड़ों साल तक रहती है. मंदिर की प्लिंथ में ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. प्रत्येक का वजन दो टन है. ग्रेनाइट पत्थर ठोस होता है. पानी के रिसाव को रोक लेता है. इसलिए मजबूती के लिए इसका प्रयोग किया गया है.
निर्माण में अब तक 21 लाख क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग हो चुका है. नींव में 1.30 लाख क्यूबिक मीटर इंजीनियरिंग फिल, राफ्ट में 9500 क्यूबिक मीटर कांपैक्ट कंक्रीट और प्लिंथ में 6.16 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट, मंदिर की ऊपरी संरचना में 4.74 लाख क्यूबिक फीट बंसीपहाड़पुर पत्थर, 14,132 क्यूबिक फीट नक्काशीदार मकराना संगमरमर लगाया गया है. सभी प्रकार के पत्थरों का परीक्षण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स के इंजीनियरों ने किया है.
आईआईटी चेन्नई के परामर्श के बाद राममंदिर की नींव 50 फीट (लगभग 14 मीटर) गहरी रखी गई है. इसे बनाने में सात महीने लगे थे. नींव में फ्लाई एश, स्टोन डस्ट, सीमेंट (केवल 2.5 प्रतिशत) व अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है. नींव में एक-एक फीट की परतें बिछाई गई हैं, इसे रोलर कॉम्पेक्ट किया गया है. रोलर कॉम्पेक्टड कंक्रीट (आरसीसी) से आर्टिफिशियल रॉक बनाई गई है. मंदिर को कम से कम एक हजार साल तक किसी प्रकार के मरम्मत की आवश्यकता नहीं होगी. विशेषज्ञों से विमर्श के पश्चात मंदिर निर्माण में लोहा, स्टील और साधारण सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है. 7.5 तीव्रता के भूकंप का असर राममंदिर पर नहीं होगा. बाढ़ से बचाने के लिए मंदिर के चारों दिशाओं में 50 फीट गहरी सुरक्षा दीवार भी बनाई जा रही है.
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— VSK BHARAT (@editorvskbharat) December 30, 2023
नींव में भक्तों की आस्था
राममंदिर की नींव में करोड़ों हिन्दुओं की आस्था अर्पित है. देश की सभी पवित्र नदियों का जल व मिट्टी हजारों कलशों में अयोध्या पहुंचा था. भक्तों की इच्छा थी कि उनकी आस्था मंदिर की नींव में समर्पित की जाए. राममंदिर ट्रस्ट ने जल व मिट्टी को मंदिर की नींव में समर्पित कराया है. वहीं 1989 में हुए शिलादान में मिलीं करीब 2.75 लाख रामनाम लिखीं ईंटें भी नींव में समाहित की गई हैं.
तीन चरणों में निर्माण
15 दिसंबर 2023 तक – राममंदिर के भूतल यानी गर्भगृह के निर्माण की समय सीमा 15 दिसंबर, 2023 तय की गई थी, जो पूरी हो चुकी है और राममंदिर का भूतल भी बनकर तैयार है.
दिसंबर 2024 तक – दूसरे चरण में राममंदिर के प्रथम व दूसरे तल का काम पूरा किया जाना है. पहली मंजिल पर रामदरबार होगा. हर एक स्तंभ में देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जाएंगी.
दिसंबर 2025 तक – तीसरे चरण में परकोटा का निर्माण होगा. इसमें कांस्य पर 90 मूर्तियां उकेरी जाएंगी. इस कार्य को दिसंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा.