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भव्य-दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से परमवैभव को प्राप्त होगी अयोध्या

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अयोध्या. प्रभु श्री रामलला जन्म स्थान पर विराजमान होने वाले हैं. श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहा भगवान का मंदिर भव्य व दिव्य होगा. साथ ही आर्किटेक्चर का भी उत्कृष्ट उदाहरण होगा. अयोध्या विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित होगी. अयोध्या में सौंदर्यीकरण का कार्य तेज गति से चल रहा है. सभी नव्य राम मंदिर को दिव्य और भव्य बनाने में लगे हैं. उनकी लगन मंदिर के निर्माण को तेजी से उस वैभव की ओर ले जा रही है जो रामलला के विराजमान से परम वैभव को प्राप्त होगी. बड़ी बात यह कि कुल 70 एकड़ के परिसर में से केवल 25-30 प्रतिशत क्षेत्र में ही निर्माण कार्य होगा, शेष हरित क्षेत्र होगा.

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला बालस्वरूप में विराजमान होंगे. इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें गर्भगृह में विराजित रामलला के ललाट पर पड़ेंगी.

मंदिर की विशेषताएं –

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण परंपरागत नागर शैली पर किया जा रहा है. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट, ऊंचाई 161 फीट होगी. मंदिर तीन मंजिला होगा, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी. मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंदिर में भूतल पर प्रभु श्रीराम बालस्वरूप (श्री रामलला का विग्रह) में विराजमान होंगे, प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा. द्वितीय तल को लेकर विचार चल रहा है.

श्रद्धालु मंदिर में पूर्व दिशा से प्रवेश करेंगे तथा दक्षिण दिशा से निकास होगा. श्रद्धालु 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंह द्वारा से मंदिर में प्रवेश करेंगे. मंदिर परिसर में पांच मंडप होंगे – नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप. खंभे व दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं.

मुख्य मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा होगा. दक्षिण भारत के मंदिरों में सामान्य रूप से दिखाई देता है, उत्तर भारत के मंदिरों में नहीं. परकोटा 14 फीट चौड़ा तथा 732 मीटर लंबा होगा. परकोटे पर ही परिक्रमा मार्ग बनेगा, श्रद्धालु मंदिर की परिक्रमा कर सकेंगे. परकोटे पर श्रद्धालुओं के लिए विश्राम की व्यवस्था होगी. परकोटे के चार कोनों में चार मंदिर स्थित होंगे, चारों कोनों में मां भगवती, भगवान सूर्य, गणपति, भगवान शिव के मंदिर होंगे, इसके साथ ही उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर स्थित होगा.

मंदिर के समीप ही पौराणिक काल का सीताकूप स्थित है. मंदिर परिसर के दक्षिणी पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जिसे संरक्षित किया गया है. साथ ही कुबेर टीला पर जटायू की स्थापना की गई है.

मंदिर परिसर में श्रीराम के जीवन से जुड़े सात प्रमुख व्यक्तित्वों के मंदिर भी बनाए जाएंगे. मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज गुह, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या का मंदिर भी होगा.

एक लाख कर सकेंगे दर्शन

राममंदिर में प्रतिदिन एक लाख भक्त दर्शन-पूजन कर सकेंगे. भव्य परिसर में आस्था के साथ आधुनिकता की झांकी दिखेगी.

रामलला की अचल मूर्ति

रामलला का विग्रह (अचल मूर्ति) 51 इंच का होगा. कमल के आसन पर रामलला विराजेंगे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तीन मूर्तियां बनाई गई हैं. कर्नाटक के गणेश भट्ट, राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय व अरुण योगीराज ने मूर्तियों का निर्माण किया है. तीन मूर्तियों में से बाल सुलभ कोमलता जिस मूर्ति में सर्वाधिक झलकेगी, उसका चयन होगा. उसी मूर्ति को 22 जनवरी को गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा.

सूर्य करेंगे अभिषेक

राममंदिर का एक खास आकर्षण यह है कि रामनवमी को सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी. सूर्य के प्रकाश को रामलला के माथे पर प्रतिबिंबित करने के लिए एक उपकरण भी गर्भगृह में लगाया जा चुका है. इस पर इसरो के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.

(रिपोर्ट – अयोध्या से लौटकर)

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