संजीव कुमार
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य शुभारंभ पर वनवासी समाज में भी पारंपरिक तरीके से उत्सव मनाया गया. कहीं सोहर गाये गए तो कहीं मनार थाप की धुन पर नृत्य किये गए. वनवासी समाज में राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साह देखने को मिला.
बिहार का रोहतासगढ़ वनवासी समाज यथा चेरो, उरांव, खरवार इत्यादि का उद्गम स्थल माना जाता है. यहां प्रति वर्ष रोहतासगढ़ तीर्थ मेला का आयोजन किया जाता है. विश्व के कोने-कोने से वनवासी समाज के लोग यहां जुटते हैं. यहां की पवित्र मिट्टी को अपने घर ले जाकर आदर सहित रखते हैं. तीर्थ मेला में उरांव महिलाएं कर्म वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं. रोहतास का नामकरण सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहिताश्व से हुआ है. स्थानीय समाज प्रभु श्रीराम को अपना बताता है.
यहां का स्थानीय समाज अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर काफी उत्साहित है. एक 5 वर्ष का बालक एक हाथ में 5 अगस्त और दूसरे हाथ में श्रीराम लिखकर भूमिपूजन के दिन घंटों नाचता रहा.
यह दृश्य सामान्य रूप से लगभग सभी वनवासी समाज में देखने को मिला. वामियों द्वारा भड़काए जाने पर भी वनवासी बहुल झाबुआ के ग्रामीण प्रस्तावित श्रीराम मंदिर को लेकर बेहद उत्साहित थे. यहां के समाज ने मौका आने पर अयोध्या जाकर श्रमदान करने की इच्छा भी जताई. कारसेवा के दौरान भी यहां ग्रामीणों के साथ ही अन्य कार्यकर्ताओं में उत्साह था. ये लोग अपने स्वेत कण से मंदिर निर्माण की बात कर रहे थे.
झारखंड में भी वनवासी समाज में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर आत्मीय खुशी थी. पांच अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री द्वारा भूमि पूजन हेतु उत्साहित वनवासियों के पूजा स्थल ‘सरना स्थल’ से मिट्टी लेकर 20 पाहनों (पुजारियों) को अयोध्या भेजा गया था. झारखंड में ‘सरना स्थल’ वनवासी समाज का महत्वपूर्ण पूजा स्थल है. जब विहिप के कार्यकर्ता उस स्थान की मिट्टी एकत्र करने गए तो समाज में अभूतपूर्व उत्साह का माहौल देखने को मिला. उनका कहना था कि राम और सीता तो हमारे हैं, तभी हमारी माता शबरी की कुटिया में पधारे और जूठे बेर खाए.
रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि आदिवासी समाज का अस्तित्व ही प्रभु श्रीराम की वानर सेना से जुड़ा है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सरना स्थल की मिट्टी लेने से झारखंड की धरा पवित्र हो गई है.
झारखंड के ही गोड्डा जिले के सदर प्रखंड की मोमिया पंचायत स्थित माली गंगटा गांव में सनातन संथाल समाज ने बैठक कर श्रीराम मंदिर निर्माण का समर्थन किया. साथ ही जाहेरथान की मिट्टी अयोध्या भेजने का संकल्प लिया. इस दौरान सनातन संथाल समाज की पहल पर हिजलजोर और दादू भुट्टू जाहेरथान से मिट्टी संग्रहित कर अयोध्या भेजी गई.
समाज की गुरुमाता रेखा हेम्ब्रम के पुत्र त्रिदेवनाथ हेम्ब्रम भी वर्ष 1992 के राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने के लिए अयोध्या गए थे. बैठक में गुरुमाता रेखा हेम्ब्रम ने बताया कि सूबे में कुछ संगठन वनवासी समाज को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. समाज के लोगों को चाहिए कि वे ईसाई संगठन के बहकावे में न आकर अयोध्या में हो रहे भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण में सहयोग करें. भगवान श्रीराम वनवासियों के पूर्वज हैं. हम संताल के लोग उनके वंशज हैं. ऐसे में सनातन संताल समाज राम मंदिर निर्माण का पुरजोर समर्थन करता है. साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में समाज के लोग तन, मन और धन से सहयोग करेंगे.
श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य शुभारंभ पर थारू महिलाओं ने सोहर गाकर हर्ष व्यक्त किया. थारू बहुल क्षेत्रों व नेपाल के दांग और कपिलवस्तु में आस्था हिलोरें मार रही है. मंदिर निर्माण का सदियों पुराना इंतजार खत्म होने पर यहां सोहर व मंगलगीत गाकर खुशियां मनाई जा रहीं हैं. सीता मइया नेपाल के मिथिला की हैं. इसलिए आज भी नेपाल से रोटी-बेटी का संबंध कायम है. यहां भी राम मंदिर निर्माण को लेकर जयकारे लगे और दीप जले.
भारत-नेपाल सीमा पर बसी थारू जनजाति की परंपरा और संस्कृति विशिष्ट है. थारू समाज को महाराणा प्रताप का वंशज कहा जाता है. भगवान राम में इनकी अगाध श्रद्धा है. विकास की दौड़ में थारू भले ही पीछे हों, लेकिन जब बात आस्था की हो तो इनका उत्साह देखते बनता है. उत्सव का कुछ ऐसा ही नजारा पचपेड़वा विकास खंड के थारू बहुल गांव कोहरगड्डी में दिखा. यहां राम मंदिर शिलापूजन की पूर्व संध्या से ही बच्चों, महिलाओं व पुरुषों में उत्साह रहा. रात में अखंड कीर्तन के बाद ग्रामीणों ने सुबह हवन-पूजन किया. इसके बाद मातृ शक्ति ने जब ढोलक की थाप पर मंगलगीत गाना शुरू किया, तो मंदिर निर्माण की खुशी दोगुनी हो गई. ‘जन्मे है श्री भगवान बधाइयां बजे, केकरा से राम केकरा से लक्ष्मण केकरा से भरत भुवाल. बधाइयां बाजे, कौशल्या के राम, सुमित्रा के लक्ष्मण, कैकेई के भरत भुवाल बधाइयां बाजे.’ सोहर गीतों से थारू महिलाओं ने गांव में अवध की भक्तिमय सुगंध बिखेरी.
बलरामपुर सीमा से सटे नेपाल के दांग और कपिलवस्तु जिले के लोग राम मंदिर निर्माण को लेकर पचपेड़वा व गैंसड़ी में रहने वाले रिश्तेदारों से पल-पल की जानकारी लेते रहे. नेपाली नागरिकों का कहना है कि माता सीता मिथिला (नेपाल) की राजकुमारी थीं. इससे भारत-नेपाल संबंध युगों पुराना है. अयोध्या में मंदिर निर्माण का भूमिपूजन होने से नेपाल में भी दीये जलाकर खुशी मनाई जा रही है.
बिहार के किशनगंज में भी वनवासी समाज ने कीर्तन कर राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी आस्था जताई. जिले के वेनुगढ़ में वनवासी समाज ने प्रतीकात्मक यात्रा भी निकाली. यहां अज्ञातवास के समय पांडवों ने समय व्यतीत किया था. जिले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखा खोले जाने का उग्र विरोध इसी समाज ने किया था.