अगरतला. 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने सेवाधाम परिसर, अगरतला (त्रिपुरा) में राष्ट्रीय ध्वज फहराया.
गणतंत्र यानि जन गणों का तंत्र. लेकिन यह केवल तांत्रिक बात नहीं है, इसके पीछे एक भाव है. और वह भाव ध्वज का दर्शन करते समय, स्वरूप का विचार करते समय हमारे ध्यान में आता है. तीन रगों से बना अपना ध्वज है. अपने देश का चिर-परिचित, सर्वत्र जिसका मान है, त्याग व कर्मशीलता का प्रतीक है, ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है, ऐसा गैरिक रंग (भगवा) सबसे ऊपर है. यह हमारे देश का शील है, उसके आधार पर अपने देश का चरित्र बना है और आगे भी बनेगा.
उसके बाद सफेद रंग है, जो पवित्रता और शांति का रंग है. हम अपने इस शील के आधार पर अपने देश में और संपूर्ण विश्व में, शांति और एक दूसरे के प्रति पवित्र भावों का वातावरण उत्पन्न करना चाहते हैं. मनुष्य, मनुष्य के प्रति पवित्रता लेकर आचरण करे. सब मिलकर सृष्टि के प्रति भी वहीं पवित्रता का भाव मन में लेकर चलें. तो सर्वत्र शांति हो जाएगी, सारे कलह-भेद मिट जाएं. ऐसा भारत, और विश्व को ऐसा बनाने वाला भारत खड़ा करने का हमारा संकल्प है. क्योंकि इससे वास्तविक समृद्धि प्राप्त होती है.
तीसरा हरा रंग समृद्धि का रंग है, लक्ष्मी जी का रंग है. अपने देश के त्याग, कर्म और ज्ञान पर आधारित उज्ज्वल चरित्र, जो तमस से ज्योति की ओर ले जाता है, असत्य से सत्य की ओर ले जाता है. ऐसा हमारा चरित्र पवित्र भावना के साथ, हम जिससे सारे विश्व को शांतिमय बनाएंगे, सर्वत्र समृद्धि प्राप्त होगी.
और यह जीवन चलता रहेगा, जिसका आधार है धर्म. सबकी धारणा करने वाला, सबको जोड़ने वाला, सबको उन्नत करने वाला, किसी को नहीं छोड़ने वाला, बिखरने नहीं देने वाला, ऐसा जो धर्म है…उस धम्म चक्र का प्रतीक धर्म चक्र, वही हमारे राष्ट्र ध्वज के केंद्र स्थान में है.
हमारा देश धर्म परायण देश है. सब लोग एक दूसरे का हित सोचें, अपने हित की मर्यादा दूसरों के हित में है, अपने विकास से दूसरों का विकास होना चाहिए. ऐसा व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन जीने वाला धर्म ही इन संकल्पों को पूरा करता है.
उस धर्म के आधार पर आचरण हम करते हैं तो हम ऐसे धार्मिक होंगे, और हमारे चुने हुए गण (प्रतिनिधि) भी ऐसे ही धार्मिक आचरण करेंगे. तो सम्पूर्ण सृष्टि तक एक आत्मीयता के भाव से, अपने स्वार्थ को मर्यादित रखकर, सबके हित के लिए जीवन जीने वाला भारत विश्व का मार्गदर्शन करेगा.
स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आज इस गणराज्य दिवस पर हमको ये संकल्प करना है कि हमारा आचरण ऐसा धर्मयुक्त आचरण होगा जिसके आधार पर आज के प्रजातंत्रों का भी पथ प्रदर्शक बने.
सम्पूर्ण भारत को वैसा गणराज्य बनाने का अपना स्वप्न अपने इस आचरण से ही साकार होने वाला है. इसलिए इस आचरण का संकल्प आज के दिए हमको लेना चाहिए.