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भारतीय चिंतन और सामाजिक समावेशन विषय पर JNU में सेमिनार

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इस वर्ष डॉ. बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर जी की जयंती Social Studies Foundation के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण रही.

13, 14 अप्रैल को दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें Social Studies Foundation सह आयोजक (co-organiser) था. सेमिनार का विषय था – ‘Marginalization and Social Inclusion: Cultivation of Indian Socio – Cultural Thought’.

इस विषय पर भारत के सभी विश्वविद्यालयों से पेपर मंगवाए गए. 15 विश्वविद्यालयों के अंतर्गत 50 संस्थाओं में से स्कॉलर तथा अध्यापकों से 100 से अधिक पेपर प्राप्त हुए. इनमें से गुण आधारित छंटनी करने के पश्चात 28 पेपर का प्रत्यक्ष सादरीकरण किया गया.

सेमिनार का उद्घाटन 13 अप्रैल को Ministry of Social Justice and Empowerment की राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक द्वारा किया गया. उन्होंने सरकार द्वारा समावेशकता के लिए किये गए प्रयासों का विस्तृत ब्यौरा दिया. इसी दिन दोपहर ४ बजे के सत्र में रखे गए Symposium में प्राध्यापक सुरिंदर जोधका और अन्य चार विचारकों ने समावेशकता के भारतीय विचार के विविध पहलुओं पर अपने विचार रखे.

सेमिनार का समापन प्राध्यापक कौशल शर्मा जी की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें प्राध्यापक शीला रेड्डी जी और प्राध्यापक पी. केशव कुमार जी ने विचार रखे. डॉ. शीला रेड्डी जी ने कहा कि डॉ. आम्बेडकर जी के विचार वर्तमान काल में भी अत्यंत सार्थक हैं, इसका सोदाहरण ब्यौरा दिया.

सेमिनार में महिलाओं ने बड़ी संख्या में सहभाग लिया. इसको उचित महत्त्व देते हुए सेमिनार  में महिलाओं के paper presentation का एक विशेष सत्र भी रखा गया. यह सत्र भी यशस्वी रहा.

अनेक विद्यार्थी तथा अध्यापकों ने मासिक पत्रिका की प्रति नियमित रूप से पाने के लिए अपना नाम दर्ज किया. सेमिनार में बड़ी संख्या में युवाओं तथा अध्यापकों की उपस्थिति रही जो SSF की दृष्टी से अत्यंत महत्त्वपूर्ण बात रही.

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