करंट टॉपिक्स

Hindu Spiritual and Service Fair – 1100 वर्ष पहले 62 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा संस्कृत थी

जयपुर. एचएसएसएफ (Hindu Spiritual and Service Foundation) के तत्वाधान में आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान में पांच दिवसीय हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला का आयोजन...

भारत के मन, संस्कृति, तत्वज्ञान को विस्तार मिले – पद्मश्री मनोज जोशी

सूरत, गुजरात. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सूरत में 7 से 9 जून तक होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक से पूर्व 06 जून...

भाषा के प्रति डॉ. आम्बेडकर का राष्ट्रीय दृष्टिकोण

लोकेन्द्र सिंह बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर के लिए भाषा का प्रश्न भी राष्ट्रीय महत्व का था. उनकी मातृभाषा मराठी थी. अपनी मातृभाषा पर उनका...

साहित्य रचना केवल स्वांत सुखाय नहीं, बहुजन हिताय होनी चाहिए – डॉ. मोहन भागवत जी

भुवनेश्वर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भाषा लोगों के दिलों के साथ-साथ समाज को जोड़ने का प्रमुख साधन...

हमारी हिन्दी बन गई ‘सबकी हिन्दी’

अंग्रेजी में केवल 10 हजार के करीब शब्द, जबकि हिन्दी की शब्द सम्पदा ढाई लाख से भी अधिक लोकेन्द्र सिंह विश्व में करीब तीन हजार भाषाएं हैं....

हिन्दू परिवार व्यवस्था पर आघातों को रोकने व धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प

बजरंग दल द्वारा देश व्यापी शौर्य जागरण यात्रा व संतों के व्यापक प्रवास तय रायपुर. विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक रविवार...

युवा जनसंख्या तभी लाभदायक, जब वह अनुशासन और कौशल से युक्त होगी – जनरल एमएम नरवणे

पुणे स्थित ‘महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्था’ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद् बैठक (25 से 28 मई) के अंतर्गत शुक्रवार को...

रिश्तों का अपना भाव है, उन्हें अंकल-आंटी बोलकर समाप्त न करें – सदानंद सप्रे

भोपाल. मातृभाषा समारोह के समापन सत्र में सदानंद सप्रे ने कहा कि बच्चों को प्रारंभ में अंग्रेजी शिक्षा देने के स्थान पर मातृभाषा में शिक्षा...

भारतीय भाषाओं के प्रति संघ का दृष्टिकोण

लोकेन्द्र सिंह तुर्की जब स्वतंत्र हुआ, तब आधुनिक तुर्की के संस्थापक कमालपाशा ने जिन बातों पर गंभीरता से ध्यान दिया, उनमें से एक भाषा भी थी. कमालपाशा...

भारत केन्द्रित मातृभाषा में शिक्षा

पंकज सिन्हा शिक्षा की प्रकृति एक सृष्टि है. सृष्टिकर्ता है – माता. वह माता, जो मानव सृष्टि के बीज़ को अपने गर्भ में धारण करती...