करंट टॉपिक्स

एकात्म मानव दर्शन – दीनदयाल जी ने चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक स्वरूप दिया

भाग दो "धर्म" चतुर्पुरुषार्थ में सबसे पहला है. इसके अंतर्गत शिक्षा-संस्कार, जीवन संकल्प समन्वय एवं विधि व्यवस्था आती है. दूसरा पुरुषार्थ "अर्थ" है, इसमें साधन...

विनायक राव जैसे कार्यकर्ता संघ की उपलब्धि हैं – भय्याजी जोशी

चिंचवड़. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि संघ विवाद का विषय नहीं है. यह पढ़ने या सुनने...

कट्टरता की सभी दीवारों को तोड़कर एकजुट व खुशहाल भारत बनाना हमारा कर्तव्य

आलंदी (पुणे). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि पूरी दुनिया को भारत की आवश्यकता है. हमारे यहां ज्ञान और...

‘पंच प्रण’ माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना है – निम्बाराम जी

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि हमें पंच प्रण - विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति,...

प्रतिनिधि ‘मेरी माटी, मेरा देश’ अभियान के निमित्त अमृतकलश लेकर राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे

नई दिल्ली. 'मेरी माटी, मेरा देश' के अभियान समापन कार्यक्रम के लिए 36 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि विशेष रूप से संचालित ट्रेनों, बसों...

‘मेरी माटी मेरा देश अभियान’ – वीर सेनानियों का स्मरण कर नमन करेगा सारा देश

नई दिल्ली. देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले ‘वीरों’ को श्रद्धांजलि देने के लिए “मेरी माटी, मेरा देश” अभियान प्रारंभ किया गया है....

ब्रह्मतेज और क्षात्रतेज से पल्लवित होकर भारत विश्वगुरु बने – डॉ. मोहन भागवत जी

श्रौत कर्म (अग्निहोत्र), सदाचार और धर्म की वृद्धि के लिए है – डॉ. मोहन भागवत जी काशी (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन...

भारत शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित हो रहा – दत्तात्रेय होसबाले जी

सुलतानपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि भारत शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित हो रहा है. जिसे रोकने...

पृथ्वी दिवस – जल संरक्षण से बदलेगी स्थिति

डॉ. सौरभ मालवीय पृथ्वी हमारा निवास स्थान है. मनुष्य सहित सभी प्राणी इसी धरती पर जन्म लेते हैं और इसी पर जीवन यापन करते हैं....

सिनेमा में स्वत्व और संस्कार बोध की आवश्यकता – 1

रमेश शर्मा हम स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. किसी भी राष्ट्र की स्वाधीनता का अमृत्व उसकी अपनी जड़ों के सशक्तिकरण से ही सम्भव...