करंट टॉपिक्स

सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी पत्रिका पहुंचने पर सकारात्मक वातावरण बना

मातृवंदना के राष्ट्र जागरण विशेषांक का विमोचन शिमला. नववर्ष के अवसर पर मातृवंदना के राष्ट्र जागरण विशेषांक व नववर्ष कैलेण्डर का विमोचन किया गया. कार्यक्रम...

हिन्दुस्थान भारतवासियों का है और पूर्ण स्वराज्य हमारा ध्येय है – डॉ. हेडगेवार

मैं अच्छी तरह जानता हूं कि मातृभूमि के भक्तों को दमन की चक्की में पीसने वाली सरकार पर मेरे कथन का कोई भी परिणाम नहीं...

25 दिसंबर / जन्मदिवस – भारत के अमूल्य रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी

राष्ट्रीय क्षितिज पर स्वच्छ छवि के साथ अजातशत्रु कहे जाने वाले कवि एवं पत्रकार, सरस्वती पुत्र अटल बिहारी वाजपेयी, एक व्यक्ति का नाम नहीं वरन्...

हमारी सोच व्यक्तिगत न होकर समाज हित में होनी चाहिए – हितेश शंकर जी

हिमालय हुंकार के विशेषांक का लोकार्पण देहरादून (विसंकें). व्यक्ति के जीवन को समाज से अलग नहीं देखा जा सकता. एकात्म मानववाद का विचार हमें यही...

पत्रकारिता एक मिशन है, पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर इसके जीवंत उदाहरण – डॉ. कृष्णगोपाल जी

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि पत्रकारिता एक मिशन है. पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर इसका जीवंत उदाहरण हैं....

एक है हिन्दुत्व – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक जी का साक्षात्कार

रा.स्व.संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा यानी संघ से जुड़ा वर्ष का सबसे बड़ा आयोजन. समाज में संघ कार्य की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही...

पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइज़र ने भारत की पहचान को स्वर देने का काम किया – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

नई दिल्ली (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी तथा सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी जी ने साप्ताहिक पत्र...

जनसहभागिता व राष्ट्रीयता एक दूसरे के पूरक हैं – हितेश शंकर जी

नोएडा. प्रेरणा शोध संस्थान द्वारा "राष्ट्रीयता में जनसहभागिता" विषय पर प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में केशव संवाद पत्रिका के "राष्ट्रीयता" अंक का...

हथकंडे न अपनाते तो पश्चिम एशिया में सिमटे रहते इस्लाम और ईसाइयत: तसलीमा

आगरा में हुई कन्वर्जन की घटना के बाद जिस तरह से एक राजनीतिक बवंडर बनाकर इसे प्रस्तुत किया गया वह असल में एक सामूहिक भय...

यूरोपीय इतिहास के विरोध में विश्व संगठित हो

इक्कीसवीं सदी तक विज्ञान का विकास सूचना तकनीक, जैव विज्ञान और नैनोविज्ञान तक आ चुका है, लेकिन आज भी विश्व का इतिहास 'वंशवाद' नामक दकियानूसी...