नई दिल्ली. आतंकियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बार-बार बेनकाब हो रहा है. आतंकियों के साथ खड़े होने की नीति साफ नजर आती है.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पेरिस में आयोजित ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को दोबारा जून 2021 तक ग्रे लिस्ट में ही रखने पर मोहर लगा दी. गुरुवार शाम को जारी वक्तव्य में बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे में से तीन को पूरा करने में विफल रही है. वहीं, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.
पाकिस्तान ने आज तक हमारे 27 कार्य योजनाओं में से केवल 24 को ही पूरा किया है. अब इसे पूरा करने की समय सीमा खत्म हो गई है. इसलिए, एफएटीएफ जून 2021 तक पाकिस्तान से सभी कार्य योजनाओं को पूरा करने का अनुरोध करता है.
FATF का कहना है कि पाकिस्तान को सभी नामित आतंकवादियों के खिलाफ वित्तीय प्रतिबंधों का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन करना चाहिए. पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए अपनी कार्य योजना में शेष तीन बिंदुओं को लागू करने पर काम करना जारी रखना चाहिए.
ग्रे लिस्ट में शामिल होने के कारण पाकिस्तान को करीब 38 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है. आतंकवाद को वित्तीय मदद पर निगाह रखने वाली वैश्विक एजेंसी ने पाकिस्तान को 2008 में ही ग्रे लिस्ट में डाल दिया था. इस्लामाबाद स्थित एक स्वतंत्र थिंक-टैंक ने अपने रिसर्च पेपर में दावा किया है कि पाकिस्तान को वैश्विक राजनीति की कीमत चुकानी पड़ी है. तबादलाब ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2008 से 2019 तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने के कारण 38 अरब डॉलर के जीडीपी का नुकसान हुआ है.
पाकिस्तानी मीडिया डॉन ने एफएटीएफ को कवर करने वाले एक पत्रकार के हवाले से कुछ दिन पहले ही कहा था कि कुछ यूरोपीय देशों, विशेष रूप से मेजबान फ्रांस ने, एफएटीएफ को पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने की सिफारिश की है और यह रुख अपनाया है कि इस्लामाबाद द्वारा सभी बिंदु पूरी तरह से लागू नहीं किए गए हैं. अन्य यूरोपीय देश भी फ्रांस का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कार्टून मुद्दे पर इस्लामाबाद की हालिया प्रतिक्रिया से फ्रांस खुश नहीं है.