जयपुर. राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका वी. शान्ता कुमारी ने कहा कि एक घंटे की शाखा जीवन में गहन तथा सघन साधना करने के लिए मूल साधन है. इसके माध्यम से व्यक्तित्व का निर्माण होता है. हमारा गणवेश हमारी अपनी पहचान है. सेविका शब्द मन में आने से हमारे मन में विचार आता है कि मैं भारत मां की पुत्री हूं, जिसका श्रेष्ठ इतिहास, परम्परा और संस्कृति है. इसलिए मैं एक हिन्दू हूं, जिसे पूरे विश्व में सम्मान मिल रहा है.
प्रमुख संचालिका शनिवार को राष्ट्र सेविका समिति, जयपुर विभाग की ओर से गालव, मालवीय, विद्याधरनगर और मानसरोवर जिले के शाखा संगम कार्यक्रम में संबोधित कर रही थीं. हमें सभी से मित्रवत भाव रखते हुए, अपनी क्षमता और बुद्धि से आनंद एवं दृढ़ता पूर्वक कार्य करना चाहिए. घर, समाज और राष्ट्र को चलाना है तो बुद्धि, धन और बाहुबल तीनों शक्ति की जरूरत होती है. यदि यह तीनों अच्छे व्यक्ति के हाथ में है तो कार्य को सही दिशा मिलती है और दुष्ट व्यक्ति के हाथ में है तो आतंकवाद बढता है, महिलाओं पर अत्याचार होता है. समाज में अस्थिरता देखने को मिलती है. इसलिए योग्य गुणों से युक्त व्यक्तित्व निर्माण अपनी राष्ट्र सेविका समिति शाखा का उद्देश्य होना चाहिए.
उन्होंने तीन एस का जिक्र करते हुए कहा कि सृजन, संस्कार और समानता ही राष्ट्र को उन्नति की ओर ले जा सकता है. सृजन एक अच्छी संतान का निर्माण करना यानि संकल्प लेकर संतान को जनना. दूसरा संस्कार केवल जन्म देने से नहीं, अच्छा संस्कार देना और तीसरा समानता निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करना. राजस्थान का नाम लेते ही वीरांगनाओं का स्मरण होता है. राष्ट्र व समाज के लिए राजस्थान का विशेष योगदान रहा है.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की क्षेत्रीय महाप्रबंधक प्रमिला गुप्ता ने कहा कि सेविका समिति का कार्यक्रम सराहनीय है. हमें स्वाभिमान के साथ जरूरत पर दुर्गा तो पार्वती जैसी सौम्यता भी रखनी चाहिए.
राजस्थान विश्वविद्यालय के खेल मैदान में जयपुर विभाग की 12 शाखा लगाई गई. प्रत्येक शाखा में एक घंटे के कार्यक्रम संचालित किए गए. ध्वज लगाने के साथ ही खेल, योग, व्यायाम एवं बौद्धिक हुआ. अंत में सेविका समिति की प्रार्थना के साथ कार्यक्रम समापन किया गया.