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स्वयंसेवक का आचरण ही संघ की पहचान है – रामलाल जी

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मेरठ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल जी ने कहा कि स्वयंसेवक का आचरण ही संघ की पहचान है. समाज में भाषा, प्रान्त, जाति आदि अनेक भेद हैं, परन्तु संघ में इनका कोई स्थान नहीं है. सभी स्वयंसेवक केवल एक भाव को लेकर चलते हैं, वह है – भारत माता की जय.

राष्ट्र प्रथम और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये स्वयंसेवक अपना सब कुछ समर्पण करता है. यही भाव जगाने के लिये इन प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन होता है.

रामलाल जी राधेश्याम मोरारका सरस्वती विद्या मंदिर माधवकुंज शताब्दी नगर में 20 दिन तक चले संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि दुनिया ने जिसे व्यापार हेतु बाजार समझा, उसी विश्व को भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानि परिवार की भावना दी और इसलिये हमारी सभी को सुखी देखने की भावना रही. यही विचार हिन्दुत्व का विचार है और इस राष्ट्र की पहचान है. आज लेह लद्दाख से अण्डमान निकोबार एवं अरूणाचल से कच्छ तक संघ का कार्य है. समाज के हर क्षेत्र में संघ का कार्यकर्ता देश की उन्नति एवं विकास के लिये कार्य कर रहा है. देश की हर आपदा एवं संकट के समय संघ का स्वयंसेवक सेवा के लिये सबसे पहले दौड़ता है. आज संघ को कम जानने वाले भी स्वयंसेवकों के कार्य द्वारा संघ को जानने की इच्छा रखते हैं. उन्होंने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में हर गांव तक संघ का कार्य और विचार ले जाने का लक्ष्य है.

शिक्षार्थियों से कहा कि संघ एवं देश की बढ़ती शक्ति को देखकर देश विरोधी ताकतें विचलित होने लगी हैं एवं हिन्दू व हिन्दुत्व को अनेक प्रकार से बदनाम एवं कमजोर करना चाहती हैं. संघ के स्वयंसेवकों एवं देश की सज्जन शक्ति को मिलकर इन विरोधियों को पहचानना एवं जवाब देना आवश्यक है. यह ताकतें आज भारत माता के टुकड़े होने के नारे लगा रही हैं. इनकी आवाज से अधिक शक्तिशाली आवाज में भारत माता की जय गूंजनी चाहिये. हम देश की आवाज बनें और देश की सज्जन शक्ति का अधिक से अधिक जागरण एवं संगठन करें, यही भाव लेकर यहां से जाएं.

कार्यक्रम के अध्यक्ष पू. स्वामी संत श्री ज्ञानदास महाराज ने कहा कि आज हिन्दू समाज को सभी भेदों से ऊपर उठकर संगठित एवं शक्तिशाली होने की आवश्यकता है.

मंच पर वर्गाधिकारी दिनेश कुमार जी, क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक जी, प्रान्त संघचालक प्रेमचन्द जी, उपस्थित रहे.

 

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