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भारत की संस्कृति व समाज को जोड़ने में संघ ने महत्वपूर्ण कार्य किया है – न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र

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हल्द्वानी, 09 जून।

एपीएस स्कूल लामाचौड़ में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड प्रांत के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग (शालेय विद्यार्थी) का समापन 09 जून को हुआ। समापन समारोह में अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र जी, मुख्य वक्ता अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले जी रहे। संघ शिक्षा वर्ग अखिल भारतीय श्रृंखला का आयाम है, जहां स्वयंसेवक देशभक्ति, बंधु भाव, समरसता, सांघिक जीवन एवं ध्येय विचार संस्कार ग्रहण कर योग्य कार्यकर्ता के रूप में शिक्षण प्राप्त करते हैं। समापन समारोह के अवसर पर स्वयंसेवकों ने सामूहिक पथ संचलन तथा घोष वर्ग प्रदर्शन एवं दण्ड प्रहार, सामूहिक समता एवं योग का प्रदर्शन किया।

प्रफुल्ल चंद्र जी ने कहा कि आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समापन समारोह में आकर अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। पिछले 100 वर्षों में भारत की संस्कृति व समाज को जोड़ने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। स्वयंसेवकों ने समाज में अनुशासन, देश प्रेम, समाज सेवा जैसे तमाम कार्यों को करने में अपना योगदान दिया है। और साथ ही संपूर्ण हिन्दू समाज को एकजुट रखने हेतु महत्वपूर्ण कार्य किया है। पूर्व न्यायाधीश प्रफुल्ल चन्द्र जी ने कहा कि जिस प्रकार परिवार संगठित रखने में प्रेम व त्याग की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार देश की एकता के लिए भी संपूर्ण हिन्दू समाज को एकजुट होना अति आवश्यक है।

समापन समारोह के मुख्य वक्ता राजकुमार मटाले जी ने कहा कि आज भगवान बिरसा मुंडा का बलिदान दिवस है, हम सभी भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण का केंद्र संघ की शाखा है। व्यक्ति निर्माण व समाज निर्माण के लिए डॉक्टर हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना की, जो 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। हमारा देश बहुत प्राचीन देश है, जिसने पूरी दुनिया को दिशा दी है। आज संघ समाज में सर्वस्वीकृति वाला संगठन बन चुका है। संघ के स्वयंसेवकों ने मौन साधक की भांति प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया और आज उसी का परिणाम है कि संघ 100 वर्ष की यात्रा तक पहुंच गया है। संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरु जी के प्रयासों से संतों के मार्गदर्शन में विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना कर संपूर्ण समाज में समरसता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि आज संघ शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है, पूंजीवादी व साम्यवादी व्यवस्था ने परिवारों को समाप्त कर दिया है। लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से परिवारों को संगठित करने हेतु कार्य कर रहा है। आदर्श परिवार व्यवस्था भारत की प्राचीन पहचान रही है। आज पूरा विश्व भारत के दर्शन, भारत के चिंतन पर नजरें टिकाए है। सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया: यही भारत का दर्शन और चिंतन है।

भारत विश्व के समस्त प्राणियों के सुख की कामना करने वाला देश है। संघ ने समाज परिवर्तन व राष्ट्र निर्माण हेतु पंच परिवर्तन का विचार दिया है, जिसमें सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व का बोथ एवं नागरिक कर्तव्य शामिल हैं।

संघ ने पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही संपूर्ण समाज से जल संरक्षण, पेड़ लगाने एवं पॉलीथिन का प्रयोग न करने का आग्रह किया है।

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