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पिछले 100 वर्ष के अंतराल में हुए नरसंहारों की परतें खोलेगी आने वाली फिल्म ‘द दिल्ली फाइल्स

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पंचकुला, हरियाणा.

प्रसिद्ध फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री की आने वाली फिल्म दिल्ली फाइल्स पिछले 100 साल में हुए हिन्दुओं के नरसंहार से जुड़ी होगी. भारतीय चित्र साधना के पांचवें फिल्म फेस्टिवल में मास्टर क्लास में श्रोताओं से रूबरु होते हुए विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि 100 साल पहले हुए मोपला नरसंहार से लेकर अब तक हुए नरसंहारों में हजारों लोगों की जान गई है. यह इतिहास खून खराबे का इतिहास है. बंगाल में हुए डायरेक्ट एक्शन डे में ही 20 हजार हिन्दुओं की हत्या कर दी गई थी. कई बार कहानी को ना कहना भी गुनाह है. समाज में जो कहानी घटी उसे भी बताना चाहिए. दिल्ली फाइल्स के माध्यम से मैं इसी इतिहास पर कहानी कहना चाह रहा हूं. उन्होंने आह्वान किया कि सोशल मीडिया के माध्यम से हम अपनी और अपने परिवार की और अपनी गली की छोटी छोटी कहानियों से स्पेस को भर दें. यही आगे काम आएगा. जब समाज के साझा मुद्दे कहानियों में आ जाते हैं, तो वह समाज को आगे ले जाने का काम करते हैं.

उन्होंने कहा कि पहले फिल्मों में हिंदुस्तान जिंदा था, लेकिन अब फिल्मों से हिंदुस्तान गायब हो रहा है. फिल्मों में देश को वापस लाने की आवश्यकता है. जो फिल्में बना रहे हैं, वे नहीं जानते के किनके लिए बना रहे हैं. हमारी फिल्में आम आदमी से दूर चली गईं और अब आम आदमी भी फिल्मों से दूर चला गया है.

मास्टर क्लास के बाद विवेक अग्निहोत्री मीडिया से रुबरु हुए. बातचीत में एजेंडा फिल्म, फिल्मों और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए सेंसर बोर्ड की भूमिका, धर्म परिवर्तन और उनकी आने वाली फिल्मों पर सवाल जवाब का सिलसिला करीब एक घंटे तक जारी रहा.

उन्होंने कहा कि अगर मुझे कोई कहता है कि मैं एजेंडे के तहत फिल्में बनाता हूं तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि सामान्य कार्य से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों तक में एजेंडा चलता है. मैं फिल्में सूझबूझ और पूरी रिसर्च करके बनाता हूं. मुझे स्वयं में यह कहते हुए अतिश्योक्ति महसूस नहीं होती कि मैं भारत का इकलौता ऐसा फिल्मकार हूं, जो एक फिल्म के निर्माण के लिए 4-4 वर्ष तक गहन शोध के बाद उस विषय पर फिल्म निर्माण का प्लान तैयार करने की हिम्मत रखता है. कई बार मेरे खिलाफ फतवे जारी होते हैं, मुझे धमकियां भी मिलती है, मुझे इसकी परवाह नहीं है. हां इसकी वजह से मुझे सिक्योरिटी में चलना पड़ रहता है. मैं अपना कार्य पूरी ईमानदारी के साथ अपने राष्ट्र के लिए कर रहा हूं. फिर चाहे इसे कोई एजेंडा कहे, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वैसे एजेंडा कोई बुरी चीज भी नहीं है.

उन्होंने कहा कि लोगों की स्मृति कमजोर हो रही है. लोग अपने पिता, दादा, परदादा का अतीत और उनके द्वारा किए राष्ट्रहित के कार्य तो दूर उनके पास इनकी एक फोटो तक नहीं होती. मैं चाहता हूं कि लोग अपने अतीत और गौरव को समझें. द ताशकंद फाइल्स और कश्मीर फाइल्स के बाद अब उनकी अगली फिल्म होगी – द दिल्ली फाइल्स.

फिल्मों में एजेंडा होने की बात से इत्तेफाक नहीं रखता – डॉ.चंद्रप्रकाश द्विवेदी

भारतीय सिनेमा मनोरंजन या एजेंडा विषय पर भारतीय चित्र साधना के नेशनल फिल्म फेस्टिवल में शुक्रवार को चाणक्य सीरियल फेम फिल्मकार डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि फिल्मकार किसी एजेंडे को लेकर फिल्म तैयार करता है. उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्मों में एजेंडा नहीं है, लेकिन यह होना चाहिए. इससे सब प्रभावित होते हैं. मैंने चाणक्य धारावाहिक बनाया, इसमें मेरा कोई एजेंडा नहीं था. वह मेरी प्रतिबद्धता थी और प्रतिबद्धता यह थी कि भारत एक सनातन राष्ट्र है. फिल्मों के खिलाफ होने वाले धरने प्रदर्शनों के पीछे एक राजनीतिक स्वार्थ होता है. उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्में बहुत कम हैं, जिन्हें विचारवान लोगों ने बनाया. फिल्मकार का उद्देश्य यह रहता है कि उसकी फिल्म सफल हो. मेरी फिल्म पृथ्वीराज सफल नहीं हुई, तो इसके कारण मुझे मेरी अन्य पांच फिल्में छोड़नी पड़ीं.

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