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संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण करना है – अरुण कुमार जी

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बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने कहा कि भारतीय नव वर्ष परंपरा व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं विश्व के निर्माण, संगठन एवं सौहार्द का प्रतीक है. सृष्टि के प्रारंभ से करोड़ों वर्षों का मानवीय संस्कृति का इतिहास, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है. इसे भारतीय संस्कृति में विविध रूपों में मनाए जाने की परंपरा है. जनजीवन में प्रचलित व्यवस्थाएं और परंपराएं मानव जीवन के निर्माण के लिए अनुकूलता प्रदान करती हैं, जिससे सभ्य, संगठित समाज और राष्ट्र का निर्माण हो सके तथा विश्व बंधुत्व की भावना को भी मजबूत किया जा सके. भारत की नव वर्ष परंपरा विज्ञान और व्यवहार तथा सौरमंडल की गति पर आधारित है जो धर्म, दर्शन, संस्कृति एवं लोक व्यवहार के माध्यम से व्यक्ति से राष्ट्र का निर्माण करती है.

सह सरकार्यवाह जी नववर्ष (विक्रम संवत् 2081) के अवसर पर बिलासपुर में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद कहा कि संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का है. इसके लिए संस्कार को माध्यम बनाया जाता है और संस्कार को मजबूत बनाए रखने के लिए उसका बार-बार अभ्यास किया जाना आवश्यक होता है, ताकि अन्य सामाजिक बुराइयां अच्छे संस्कार को कमजोर न बना दें और व्यक्ति का चारित्रिक तथा सामाजिक पतन न हो.

उन्होंने तीन विषयों वर्ष प्रतिपदा, हिन्दू साम्राज्य दिवस एवं विजयादशमी पर विचार रखे. उन्होंने वर्ष प्रतिपदा को समाज के लिए गौरव का प्रतीक बताते हुए कहा कि वर्ष प्रतिपदा का दिन हमारे पराक्रमी महापुरूषों को स्मरण करने का भी अवसर रहता है. हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव, धर्म की जय और खुशी का प्रतीक है. इस दिवस को समृद्धि, सम्मान और एकता के रूप में मनाते हुए हिन्दू साम्राज्य के गौरवशाली भारतीय इतिहास के साथ हमारा जुड़ाव होता है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप से हम अपनी राष्ट्रीय अस्मिता के गौरव को पहचानने का प्रयास करते हैं. इसी तरह विजयादशमी का पर्व हमारे जीवन में शौर्य तथा अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है. विजयादशमी पर्व संघ स्थापना दिवस के रूप में हिन्दू जनमानस में सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा राष्ट्रीय भावना को सुदृढ़ बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है. इसलिए भारत की परंपराओं, संस्कारों और हिन्दू साम्राज्य की अखंडता के प्रति समर्पण भाव का संचार करने वाले पर्व का हिन्दू जनमानस में विशेष महत्व है.

इस अवसर पर कार्यक्रम में हिमाचल प्रांत के प्रांत संघचालक वीर सिंह रांगड़ा जी, नगर संघचालक सुरेंद्र जी सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता, स्वयंसेवक उपस्थित रहे.

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