जबलपुर. स्वाधीनता अमृत महोत्सव समिति जबलपुर के तत्वाधान में 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के प्रारंभ में बाबा साहेब आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. प्रथम पंक्ति में बैठे संत समाज का भी अभिवादन पूजन किया गया. स्वाधीनता वर्ष 1947 में जिस प्रकार भारत के वीर अमर बलिदानियों ने चारों दिशाओं से एक स्वर में एक ताकत में, स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया है, जिसे भुलाया नहीं जाना चाहिए.
मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार जी ने कहा कि भारत के वीरों ने जिस प्रकार अपने परिवार, धन, समय और सीमित संसाधनों के बीच संघर्ष कर स्वतन्त्र भारत की गाथा लिखी है. हमें प्राप्त स्वाधीनता एक राजनीतिक समझौते के तहत प्राप्त स्वाधीनता है, अभी हमें भारत की विशुद्ध स्वतंत्रता के लिए और कड़े संघर्ष की आवश्यकता है. जिससे नए अखंड भारत की स्थापना हो सके और इसके लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा. मैं सब का आह्वान करता हूं कि अखंड भारत के लिए मिलकर काम करें. भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए काम करें ताकि जैसे स्वाधीनता के पहले भारत विश्वगुरु था, दूसरे देशों के लोग भारत में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे. वही गौरव भारत के लिए हमें पुनः स्थापित करना है. तभी हमारी स्वाधीनता का वास्तविक अर्थ और मूल्य हमें प्राप्त होगा.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजेंद्र मरकाम ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में जबलपुर के मूर्धन्य विद्वान संत समाज, कुलपति जेएनकेवीवी डॉ. पी.के. बिसेन, डॉ. जितेंद्र जामदार राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त सहित अन्य उपस्थित थे. सभी ने एक स्वर में अखंड भारत के लिए स्वयं और अपनी अगली पीढ़ी को कार्य करने का आह्वान किया. तभी स्वाधीनता का अमृत महोत्सव पूर्ण होगा.